विनती परमेश्वर से
विनती है तुझसे परमेश्वर
मुझे बुलाए जब अपने घर
मत देना व्याधि का संकट
लेना मुझे बुला तू झटपट
रुग्णालय में रहूं तड़पता,
ऐसा बुरा नसीब ना देना
मेरे कारण कभी किसी को,
होने कुछ तकलीफ न देना
मोहजाल में फंसा हुआ मैं
जल्दी से अब जाऊं निकलता
आया था मैं रोता रोता
लेकिन जाऊं हंसता हंसता
बना रहे परिवारजनों में
प्यार भाव पहले ही जैसा
उन पर विपदा कोई ना आए
सुख शांति से रहे हमेशा
हो समृद्ध ,प्रफुल्लित जीवन ,
कभी किसी को टीस न देना
मेरे कारण कभी किसी को
होने कुछ तकलीफ न देना
जीवन भर सत्कर्म किए हैं
नहीं दुखाया कोई का दिल
बस इतनी तू कृपा बनाना,
जगह स्वर्ग में जाए मुझे मिल
मेरी अर्धांगिनी पत्नी ने ,
ख्याल रखा है मेरा हर क्षण
इसीलिए विनती है जब तक
वह जिए बन रहे सुहागन
परेशानियां कोई उसके
आने कभी करीब न देना
मेरे कारण कभी किसी को
होने कुछ तकलीफ न देना
मन में गिला न शिकवा कोई
नहीं किसी से रुष्ट रहूं मैं
जिऊं एक संपूर्ण जिंदगी
और सदा संतुष्ट रहूं मैं
क्षणभंगुर जीवन में जब भी
आए जुदाई का जब वह पल
मुंह पर तेरा नाम बसा हो
हो मुस्कान मेरे चेहरे पर
कोई दुख को या पीड़ा को
आने मेरे समीप न देना
मेरे कारण कभी किसी को
होने कुछ तकलीफ न देना
मदन मोहन बाहेती घोटू
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