एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

शुक्रवार, 7 मार्च 2014

महिलायें ,

         महिलायें
(महिला दिवस पर विशेष)
 
महिलायें ,
जब आपका मन मोह जाये
आपके जीवन को हिलायें
तन मन को बहलाये,सहलाये ,
और घर की रानी कहलाये
महिला का दर्जा जीवन में पहला है
आप हमेशा नहला है वो हमेशा दहला है
उसे देवी समझ कर पूजो,
घर का माहोल बदल जाएगा
छोटा सा घर भी महल बन  जाएगा
इन्हे  प्रसन्न रखो क्योकि ये  यदि कुपित हो जाये
तो अपने पहले दो शब्द ,'मही 'याने पृथ्वी को ,
अपने अंतिम दो शब्द 'हिला'से मिला दे
याने पृथ्वी को हिला कर  ,भूकम्प ला दें
इसलिए खैरियत इसी मे है,
उनसे हिल मिल के रहो
उनके आगे दुम  हिलाते रहो
उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहो
और हर दिन महिला दिवस मनाते रहो   
 आपके जीवन को  खुशी से लहलहाये
 महिलाये  
मदन मोहन  बाहेती'घोटू '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-