तीन राजनैतिक व्यंग
१
जंगल का क़ानून
'युकिलिप्टिस 'के पेड़ की तरह ,
एकदम तेजी से मत बढ़ो,
एकदम सीधे मत रहो ,
वर्ना पांच सात साल बाद ,
काट दिए जाओगे ,
जंगल का ये ही क़ानून है
2
पतझड़ के पत्ते
पतझड़ के पत्ते ,
जब अपनी डाल को छोड़ कर,
हवा के झोंकों के संग ,
इधर उधर राजमार्गों पर भटक जाते है
इकट्ठे कर,जला दिए जाते है
और जो पेड़ के नीचे ही ,
गड्ढों में दबे रह जाते है ,
कुछ समय बाद,खाद बन जाते है
नयी फसल को उगाने के काम आते है
3
जरुरत--शहादत की
राजनीती के गलियारे,
अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण
बहुत सकड़े रह गए है
और अब आवश्यकता हो गयी है,
उन्हें चोडा करने की
और सड़कों को चोडा करने के लिए
पुराने बड़े बड़े वृक्षों को
शहादत देनी पड़ती है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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