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शनिवार, 29 मार्च 2014

तीन चतुष्पदियाँ

         तीन  चतुष्पदियाँ
                   १
                 बीमा
अपने संतानों के खातिर ,सोचते  है कितना  हम
मर के भी उनके लिए , कुछ न कुछ कर जाएँ हम 
काट कर  के पेट अपना ,भरते बीमा  प्रीमियम
मिलेगा बच्चों को पैसा ,जब हमें ले जाए   यम
                              २
                      फल
जिंदगी अपनी लुटाते है  हम जिनकी चाह मे
जीते जी, पर  बुढ़ापे में , पूछते  ना   वो   हमें
सोचते ये देख मुझको,आम्र के तरु  ने कहा ,
बोया तुम्हारे पिता ने , दे रहा हूँ , फल तुम्हे
                              ३
                      दान पुण्य
बोला पंडित ,दान करले ,काम ये ही आयेगा
मरने पर इस पुण्य से ही,मोक्ष को तू पायेगा
मैंने  सोचा जन्म अगला,मेरा सुधरे या नहीं ,
दान पाकर,जन्म पंडित का सुधर ,पर ,जाएगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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