पाक स्थल
जहाँ प्रातः उठ ,सबसे पहले ,जाने करता मन है
और जगते ही ,जहाँ आदमी ,रखता प्रथम कदम है
जहाँ अवांछित ,जल और पृथ्वी तत्व विसर्जित होता
जहाँ प्रतीक्षित ,जब आ जाता ,मन आनंदित होता
कई बार ,इस स्थल जाने ,मन होता बेकल सा
मन में भर जाती उमंग ,तन लगता ,हल्का हल्का
हो जाता निर्वस्त्र आदमी बिना झिझक ,शरमाये
चिंतन और विचार उभरते,जन्मे नव कवितायें
तन का हर एक अंग जहाँ निर्मल,पवित्र हो जाता
खुलजाते नव द्वार,जहाँ पर चोला बदला जाता
बैठ जहाँ अहसास शांति का करता है तन और मन
करता आत्मनिरीक्षण मानव,मूल रूप के दर्शन
जहाँ हमेशा,जल की धारा ,फंव्वारे बहते है
उस प्यारे पावन स्थल को ,'बाथरूम'कहते है
मदनमोहन बाहेती'घोटू'
जहाँ प्रातः उठ ,सबसे पहले ,जाने करता मन है
और जगते ही ,जहाँ आदमी ,रखता प्रथम कदम है
जहाँ अवांछित ,जल और पृथ्वी तत्व विसर्जित होता
जहाँ प्रतीक्षित ,जब आ जाता ,मन आनंदित होता
कई बार ,इस स्थल जाने ,मन होता बेकल सा
मन में भर जाती उमंग ,तन लगता ,हल्का हल्का
हो जाता निर्वस्त्र आदमी बिना झिझक ,शरमाये
चिंतन और विचार उभरते,जन्मे नव कवितायें
तन का हर एक अंग जहाँ निर्मल,पवित्र हो जाता
खुलजाते नव द्वार,जहाँ पर चोला बदला जाता
बैठ जहाँ अहसास शांति का करता है तन और मन
करता आत्मनिरीक्षण मानव,मूल रूप के दर्शन
जहाँ हमेशा,जल की धारा ,फंव्वारे बहते है
उस प्यारे पावन स्थल को ,'बाथरूम'कहते है
मदनमोहन बाहेती'घोटू'
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