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रविवार, 23 मार्च 2014

इस देश को तो बस आम औरत चलायेगी.....


सुनो जी, 
सुना है तुमने 
चुनाव चिन्ह 
हमारा झाड़ू चुना है?
हम भी 
चुनाव चिन्ह
अपना बेलन चुने क्या?
सड़क पर सरेआम
तुम्हारे सिर पर 
धुनें क्या?
गंदगी करो तुम 
और सफाई करे हम?
झाड़ू ले के भर रहे
आम आदमी का दम?
घर तो संभलता नहीं
देश क्या सँभालोगे,
दो बच्चे तो पलते नहीं 
करोड़ों तुम क्या पालोगे?
इस देश को तो बस
आम औरत चलायेगी,
संसद में ढंग से
अब चूल्हा जलायेगी...
नेता निकम्मों पे 
अब चिमटा चलेगा,
मक्कारों के सिर पे
अब बेलन बजेगा...
सरकारी कचरे पे
झाड़ू लगा देंगे,
जहां दाग-धब्बे हों
पोछा लगा देंगे...
रिश्वत जमाखोरी 
कालाबाजारी,
निपटेगी इनसे
अब सैन्डल हमारी...
हरामखोरी बंद अब
काम सब करेंगे,
अमीरों का कुछ हिस्सा
गरीबों के नाम करेंगे...
बातें भी खूब होंगी
काम भी खूब होगा,
देश के मेकअप का
तामझाम भी खूब होगा...
मंदिर और मस्जिद 
के लफड़े जो होंगे,
जानलेवा नहीं 
मुंह के झगड़े ही होंगे...
तू-तू-मैं-मैं करके
मुंह हम फुला लेंगे,
कभी खुश हुए तो
हम ही बुला लेंगे...
मोलभाव का जौहर हम
पूरी दुनिया में दिखायेंगे,
अपना सामान महँगा और 
दूसरे का सस्ता हम करायेंगे...
भैया, बेटा, मुन्ना 
और बाबू कर करके,
दिखा देंगे दुनिया पर
राज भी हम करके...
चर्चित तुम्हे इस मुहिम में
हमारे साथ रहना है,
कविताबाजी छोड़ो तुम्हें
कान्हा जैसा बनना है...

- विशाल चर्चित 

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