होली का हादसा
होली के दिन ,
हम बड़े रोमांटिक बन ,
हाथो में ले गुलाल की झोली
निकल पड़े अपनी पडोसिनो से खेलने होली
पहली पड़ोसन के गालों पर ,जब गुलाल मला
पर उसके गाल इतने गुलाबी थे ,
कि मेरी गुलाल का रंग ही नहीं चढ़ा
मन में लिए मलाल
जब गुलाल लेकर ,टटोले दूसरी के गाल
पर उसके गाल इतने चिकने थे ,
कि उन पर गुलाल ही फिसल गयी
और तीसरी को पहचान ही नहीं पाये ,
,क्योंकि वह अपना मुंह काला करवा कर,
मेरे सामने से ही निकल गयी
और हम ढूंढते ही रह गए
अब किस से क्या कहे,
अरमान आँसुओ में बह गए
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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