होली का रंग है
मिली इसमे भंग है
बुरा मानना मत
निश्छ्ल उमंग है
पीकर के पौवा
बना शेर कौवा
नशे मे खड़ा कर
दिया एक हौवा
किसी का दुपट्टा
जो लै भागा पट्ठा
दिया खींच करके
है गोरी ने चट्ठा
फिर भी न हारा
कीचड् दे मारा
कहा प्राणप्यारी
मैं प्रियतम तुम्हारा
वो बोली जाओ
हमें ना फंसाओ
उल्लू हो उल्लू
मुंह धो के आओ
बड़ा ढीठ बंदा
पकड़ करके कंधा
पहलवान माइन्ड
दिया एक रंदा
गर्दन अकड़ गई
चंडी सी चढ़ गई
बाला तो हाय कर
वहीं सीधी पड़ गई
जनता इकट्ठी
लिये हाथ लट्ठी
मजनूं की गीली
हुई अब तो चड्ढी
बड़ी मार खाई
पड़ा चारपाई
मुहब्बत ने हड्डी
की भूसी बनाई
सबक ये मिला है
कि जो मनचला है
उसी का मुसीबत
में हरदम गला है
चर्चित की मानो
नशा मत ही छानो
नहीं तो फंसोगे
बुरे खूब जानो...
/// होली मुबारक ///
- विशाल चर्चित
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