एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 2 मार्च 2014

जब बीबी मइके जाती है

        जब बीबी मइके जाती है

ना ही खटपट,ना ही झंझट
हो जाता सब कुछ ,उलट पुलट
झगडे टंटे  जाते है छट
रातें कटती ,करवट,करवट
होते थे झटपट काम कभी ,
अब मुश्किल से हो पाते है
अच्छे अच्छे पतिदेवों को ,
भी देव याद  आ जाते है
जगती है मन में विरह पीड ,
हालत पतली हो जाती है
              जब बीबी मइके जाती है
होता जुदाई में बदन  जर्द,
इंसान त्रस्त  हो जाता है
सब सूना सूना लगता है ,
घर अस्त व्यस्त हो जाता है
जब आता है ये बुरा वक़्त ,
हो जाते अपने होंश पस्त
दिन भर रहते है सुस्त सुस्त ,
हो जाते इतने विरह ग्रस्त
उनकी बातें,मीठी यादें ,
आकर मन को तड़फाती है
                जब पत्नी  मइके जाती है
खो जाती घर की चहल पहल,
आती वो याद हमें हर पल
खाली खाली सा लगता है,
वो डबल बेड वाला कम्बल
मन की चंचलता जाती ढल,
दिल ,तिल तिल करके जलता है
जब दर्द जुदाई खलता है ,
मिलने को ह्रदय मचलता है
आ रहा फाग और मिलन आग,
मन में जल जल सी जाती है
               जब पत्नी मइके जाती है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-