दीन-हीन परदेश, छकाते छोरी-छोरा
छोरा होरा भूनता, खूब बजावे गाल ।
हाथी के आगे नहीं, गले हाथ की दाल ।
गले हाथ की दाल, गले तक हाथी डूबा ।
कमल-नाल लिपटाय, बना वो आज अजूबा ।
करे साइकिल रेस, हुलकता यू पी मोरा ।
दीन-हीन परदेश, छकाते छोरी-छोरा ।।
बहुत सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसही कहा ..
जवाब देंहटाएंये उम्दा पोस्ट पढ़कर बहुत सुखद लगा!
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस की बधाई हो!