संतरा
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धरा सा आकार सुन्दर,अरुण सी आभा सुशोभित
वेद का,उपनिषद का सब,ज्ञान फांकों सा सुसज्जित
और फांकों में समाये, वेद सब ,सारी ऋचायें
ज्ञान कण कण में,वचन से ,प्यास जीवन की बुझाये
फांक का हर एक दाना, मधुर जीवन रस भरा है
संत के सब गुण समाहित,इसलिए ये संतरा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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धरा सा आकार सुन्दर,अरुण सी आभा सुशोभित
वेद का,उपनिषद का सब,ज्ञान फांकों सा सुसज्जित
और फांकों में समाये, वेद सब ,सारी ऋचायें
ज्ञान कण कण में,वचन से ,प्यास जीवन की बुझाये
फांक का हर एक दाना, मधुर जीवन रस भरा है
संत के सब गुण समाहित,इसलिए ये संतरा है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
वाह...
जवाब देंहटाएंरसीली रचना..
:-)