प्रवीण जी ने फेसबुक से विदा ली
क्षण भर चेहरे देख के, करें जरूरी काम |
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |
बड़ा मुखौटा काम का, छूटे नशे तमाम |
छूटे नशे तमाम, नशे का बनता राजा |
छोड़ जरुरी काम, बुलाये आजा आजा |
कह रविकर रख होश, मुखौटा खोटे लागै |
रखकर सर पर पैर, सयाना सरपट भागै ||
अच्छा है ! :)
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हमने तो खाता ही नहीं खोला ...
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