सोचा न था इस तरह चला जायेगा वो
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो ,
कभी रोता कभी हँसता ,मुस्कुराता हुआ शरारतों से भरा
इस तरह बिछड़ जायेगा वो,
मांगते रह जायेंगे हम, पर अब न मिल पायेगा वो
यादों की दुनिया में जाके चुप गया है इस तरह की ,
अब ढूँढने पर भी नजर नहीं आयेगा वो ,
उस बचपन को अब यादों में ही तलाशना ,
क्योकि इस जनम में तो दोबारा नहीं मिल पायेगा वो ,
वो बचपन जो बिछड़ गया है हमसे सदा के लिए ,
यादों की दुनिया में ही मुस्कुराएगा वो,
सोचा न था इस तरह चला जायेगा वो
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो |
अनु डालाकोटी
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो ,
कभी रोता कभी हँसता ,मुस्कुराता हुआ शरारतों से भरा
इस तरह बिछड़ जायेगा वो,
मांगते रह जायेंगे हम, पर अब न मिल पायेगा वो
यादों की दुनिया में जाके चुप गया है इस तरह की ,
अब ढूँढने पर भी नजर नहीं आयेगा वो ,
उस बचपन को अब यादों में ही तलाशना ,
क्योकि इस जनम में तो दोबारा नहीं मिल पायेगा वो ,
वो बचपन जो बिछड़ गया है हमसे सदा के लिए ,
यादों की दुनिया में ही मुस्कुराएगा वो,
सोचा न था इस तरह चला जायेगा वो
इन्तजार कर लें चाहें जितना ,
पर अब लौट के न आयेगा वो |
अनु डालाकोटी
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंआशा
कोई लौटा देमेरे बीते हुए दिन ,बीते हुए दिन ये मेरे बीते पल छीन ,जीवन की एक प्रावस्था होता है बचपन बीत गया जो बीत गया ..... बस यादें बुलातीं हैं कभी कभार ...
जवाब देंहटाएंबचपन...कब लौट के आता है..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..
kalamdaan.blogspot.in
बचपने लौट के आने के लिए नहीं जाता, लेकिन हमें थोड़ा सा बचपना चुराकर सहेज कर रखना चाहिए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंइस उम्दा रचना को पढ़वाने के लिए आभार!
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