अबीर गुलाल
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तेरा अबीर ,तेरी गुलाल,
सब लाल लाल, सब लाल लाल
उस मदमाती सी होली में
जब ले गुलाल की झोली मै
आया तुम्हारा मुंह रंगने
तुम सकुचाई सी बैठी थी
कुछ शरमाई सी बैठी थी
मन में भीगे भीगे सपने
मैंने बस हाथ बढाया था
तुमको छू भी ना पाया था
लज्जा के रंग में डूब गये,
हो गये लाल,रस भरे गाल
तेरा अबीर ,तेरी गुलाल
सब लाल लाल,सब लाल लाल
मेंहदी का रंग हरा लेकिन,
जब छूती है तुम्हारा तन,
तो लाल रंग आ जाता है
इन काली काली आँखों में,
प्यारी कजरारी आँखों में,
रंगीन जाल छा जाता है
चूनर में लाली लहक रही,
होठों पर लाली दहक रही
हैं खिले कमल से कोमल ये,
रखना संभाल,पग देख भाल
तेरा अबीर, तेरी गुलाल
सब लाल लाल,सब लाल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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तेरा अबीर ,तेरी गुलाल,
सब लाल लाल, सब लाल लाल
उस मदमाती सी होली में
जब ले गुलाल की झोली मै
आया तुम्हारा मुंह रंगने
तुम सकुचाई सी बैठी थी
कुछ शरमाई सी बैठी थी
मन में भीगे भीगे सपने
मैंने बस हाथ बढाया था
तुमको छू भी ना पाया था
लज्जा के रंग में डूब गये,
हो गये लाल,रस भरे गाल
तेरा अबीर ,तेरी गुलाल
सब लाल लाल,सब लाल लाल
मेंहदी का रंग हरा लेकिन,
जब छूती है तुम्हारा तन,
तो लाल रंग आ जाता है
इन काली काली आँखों में,
प्यारी कजरारी आँखों में,
रंगीन जाल छा जाता है
चूनर में लाली लहक रही,
होठों पर लाली दहक रही
हैं खिले कमल से कोमल ये,
रखना संभाल,पग देख भाल
तेरा अबीर, तेरी गुलाल
सब लाल लाल,सब लाल
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
होली पर कविता बहुत कम ही पढने को मिलता है, और आपकी कविता तो बहुत ही रस मय लगी , बहुत सुन्दर रचना है शब्दों और रंगों का.
जवाब देंहटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंमदन मोहन भाई, अबीर और गुलाल में सराबोर कर दिया आपने। अब तो मन ये ही कह रहा है- होली है...
जवाब देंहटाएं------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
मूस जी मुस्टंडा...