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शुक्रवार, 14 मई 2021

पत्नीजी को खुश रखो

जिसकी किचकिच ,किस''जैसी है ,
जिसके ताने ,लगे सुहाने
जिसकी  तूतू मैमै में भी ,
प्यार बसा ,माने ना माने
जो नयना ,बरसाते शोले ,
नैनमटक्का करते थे कल
आज होंठ जो बकबक करते ,
उनसे चुंबन झरते थे कल
जिनकी रूप अदा का चुंबक ,
खींचा करता आकर्षित कर
उनके संग क्यों खींचातानी ,
अब चलती रहती है दिनभर
क्या कारण घर बना हुआ रण ,
जो  होता ,रमणीक कभी था
जहाँ रोज अब ठकठक होती ,
बहुत शांत और ठीक कभी था
उनको आज शिकायत रहती ,
उनका रखता ना ख्याल मैं
उनकी बातें ,एक कान सुन ,
दूजे से देता निकाल मैं
दिन भर व्यस्त काम में रह कर ,
होती पस्त और जाती थक
और शिकायतों का गुबार भी
सारा जाता निकल रात तक
तब वह बिस्तर पर पड़ जाती।
आता कुछ सुकून है मन में
मिट जाती सारी थकान है ,
मेरी बाहों के बंधन में
और फिर आने वाले कल हित ,
संचित ऊर्जा हो जाती है
जो मधुमख्खी ,शहद पिलाती ,
कभी काट भी तो जाती है
उनकी लल्लोचप्पो करना ,
डरना उनकी नाराजी से
उनकी हाँ जी हाँ जी करना ,
खुश रखना,मख्खनबाजी से
यह छोटा सा ही नुस्खा पर ,
भर देता जीवन में खुशियां  
इसको अपना कर तो देखो ,
देगा बदल ,आपकी दुनिया

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सांत्वना

यादें कल की थोड़ा तो तड़फायेगी
आदतें  तन्हाई की पड़ जायेगी
जीना है तो सम्भलना ही पड़ेगा ,
मुश्किलें वर्ना बहुत बढ़ जायेगी
आशाओं का सूर्य जब होगा उदय ,
गम की बदली छायी जो,छट जायेगी
जिंदगी में आई है जो खाइयां ,
समय के संग संग ,सभी पट जायेगी
जीने की जागेगी मन में फिर ललक,
और चिंताये भी कुछ घट जायेगी
हौंसला रखना पडेगा आपको ,
लम्हा लम्हा जिंदगी कट जायेगी

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
मैं तुमको क्यों कर गाली दूँ

तुमको भला बुरा कह अपनी ,क्यों जुबान मैं कर काली दूँ
मैं तुमको क्यों कर गाली दूँ

तुम हो चिकने घड़े तुम्हे छू ,सभी गालियां फिसल जाएंगी
तुम्हारा कुछ ना बिगड़ेगा ,जिव्हा मेरी बिगड़ जायेगी
बहुत कमीने हो तुम ,ना हो ,मेरी गाली के भी लायक
तुम लालच से भरे हुए हो ,सदा साधते अपना मतलब
अपना काम निकल जाने पर ,बिलकुल नज़र नहीं आते हो
निज अहसान फरामोशी का ,पूरा जलवा दिखलाते हो
व्यंग बाण बरसा तुम पर मैं ,निज तूणीर क्यों कर खाली दूँ
मै  तुमको क्यों कर गाली दूँ

अपनों के ही नहीं हुए तुम ,और किसी के फिर क्या होंगे
वक़्त तुम्हे जब ठोकर देगा ,अपनी करनी खुद भुगतोगे
बचा रहा जो तुम्हे डूबने से  ,उसको ही डंक मारते
देगा कौन सहारा तुमको ,मुश्किल में ,ये ना विचारते
अरे अभी भी समय शेष है,सुधर सको तो सुधर जाओ तुम
अपने मन के अंदर झांकों ,प्रेम भावना को जगाओ तुम
समझा रहा ,यही कोशिश है ,तुमको सुख और खुशहाली दूँ
मैं तुमको क्यों कर गाली दूँ

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
ये शून्य काल है

पक्ष विपक्ष चीखते दोनों ,
पस्त व्यवस्था ,बुरा हाल है
ये शून्य काल है
ये शून्य काल है
हमको ये दो ,हमको वो दो ,
बढ़ चढ़ मांग हर कोई करता
फिर जिसको जितना भी दे दो ,
उसका पेट कभी ना भरता
मांग अधिक ,आपूर्ति कम है ,
क्योंकि संसाधन है सीमित
कोप महामारी का इतना ,
कि इलाज से जनता वंचित
पीट रहे सब अपनी ढपली ,
ना सुर कोई ,नहीं ताल है
ये शून्य काल है
ये शून्य काल है
हर कोई लेकर बैठा है ,
कई शिकायत भरा पुलंदा
रायचंद सब राय दे रहे ,
बस ये ही है उनका धंधा
ये बाहर कुछ,अंदर कुछ है ,
बहुत दोगली इनकी बातें
बेच दिया इनने जमीर है ,
बस गाली देते ,चिल्लाते
चोर चोर मौसेरे भाई ,
पनपाते काला बाजार है
ये शून्य काल है
ये शून्य काल है
इस विपदा के कठिन काल में ,
भी ये अवसर देख रहे है
अपनी अपनी राजनीती की ,
ये सब रोटी सेक रहे है
'ब्लेम गेम 'में लगे ,उठाया ,
इनने सर पर आसमान है
पर इस आफत के निदान में ,
रत्तीभर ना  योगदान है
कौवा पोत सफेदी ,चलने
लगा हंस की आज चाल है
ये शून्य काल है
ये शून्य काल है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

मंगलवार, 11 मई 2021

सुनो ,मेरी बात पर गौर करो

 बिके  हुए चैनल के समाचार मत देखो ,
आधी बिमारी ,दहशत कम हो जायेगी ,
पता नहीं कुछ लोग,न जाने किस मतलब से ,
छवि  बिगाड़ने में भारत की तुले हुए है  

अपनी अपनी राजनीति को चमकाने के ,
ढूंढ रहे है अवसर जो इस आफत में भी ,
इनकी कोई बातों पर तुम ध्यान न देना ,
क्योंकि इरादे इनके विष में घुले हुए है

जुते हुए है स्वार्थ साधने में कितने ही
कालाबाज़ारी कर कमाई के चक्कर में है ,
हाथ जोड़ते ये चेहरे शैतान बहुत है ,
नहीं दूध से कोई इनमे धुले हुए है

अपने मन में दबे हुए संवेदन को तुम ,
आज झिझोडो,और जगाओ,सोने मत दो
,देशद्रोहियों के बहकावे में मत आओ ,
ये तो देश को गिरवी रखने तुले हुवे है

शुक्र मनाओ ईश्वर का ,तुम भाग्यवान हो ,
गर्व करो तुमको ऐसा  नेतृत्व मिला है ,
जो निस्स्वार्थ कर रहा भारत महिमामंडन ,
और हौसलें भी बुलंद और खुले हुए है

जरूरत है ये आज ,सावधानी हम बरतें ,
बना दूरियां रखें ,और मुख पट्टी बांधें ,
और बढ़ाएं तन मन की अवरोधकशक्ति ,
प्राणायम के भी विकल्प सब खुले हुए है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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