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रविवार, 29 सितंबर 2019

चस्का चुनाव का

एक नवधनाढ्य से ,जब सम्भल नहीं पायी उसकी माया
तो उसे चुनाव लड़ कर नेता बनने का शौक चर्राया
वो मेरे पास आया
और बोला ,मैं अपनी जयजयकार सदा देखना चाहता हूँ
खुद को फूलों की मालाओं से लदा देखना चाहता हूँ
इसलिए मन कर रहा है नेता बनू और चुनाव  लड़ूँ
आप बताइये कौनसी पार्टी ज्वाइन करूँ
मैंने कहा कई पार्टियों के प्रमुख होते है बड़े विकट
करोड़ों में बेचते है चुनाव का टिकिट
तुम उनके चक्कर में मत  पड़ो
इससे बेहतर है कि इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ो  
कई बार चुनाव के बाद नतीजों की ऐसी स्तिथि आती है
जब किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता,
तब इंडिपेंडेंट केंडिडेट की वेल्यू बहुत बढ़ जाती है
ऐसे में उसके भाग्य  का कमल ऐसा खिलता है
कि धन के साथ साथ ,उसे मंत्री पद भी मिलता है
वो ललचाया और बोलै ठीक है मैं इंडिपेंडेंट चुनाव लडूंगा
पर इस राह पर आगे कैसे बढूंगा
हमने कहा  इसके लिए आपको ,सबको सर झुका कर ,
प्रणाम करने की आदत डालनी होगी
और अपना गुणगान करनेवाले चमचों की
एक फ़ौज पालनी होगी
गरीब जनता के वोट पाने के लिए उन्हें लुभाना पड़ता है
पैसा और दारू ,पानी की तरह बहाना पड़ता है
पर ये काम आसान नहीं है ,
अन्य पार्टियों की नज़र से बचना पड़ता है
और जब आचार संहिता लग जाती है ,
तो बहुत संभल कर चलना पड़ता है
आप अपने चमचों से अलग अलग संस्थाएं
जैसे ' महिला उत्थान समिति 'बनवाये
और उनसे 'मातृशक्ति महिमा मंडन 'जैसे ,
समारोहों का आयोजन करवाए
अपने आपको ऐसे समारोहों का मुख्य अतिथि बनवाएं
और वो आपके हाथों हर महिला को ,
साडी ,सिलाई मशीन या अन्य गृह उपयोगी
उपकरण भेंट करवाये  
इसीतरह युवा विकास केंद्र 'स्थापित करवा ,
युवाओं को टेबलेट लेपटॉप का आपके हाथों वितरण होगा
और आपका प्रभावशाली भाषण होगा
वरिष्ठ नागरिक सेवा केंद्र '
सीनियर सिटिज़न सन्मान समारोह का आयोजन करवा
आपके हाथों बुजुर्गों को शाल अर्पित करवाएंगे
और आपके वोट सुनिश्चित हो जाएंगे  
इसमें पैसा तो आपका लगेगा पर कोई और दिखायेगा खर्चा
मुख्य अतिथि के रूप में आपका होगा चर्चा
लोग आपको पहचानने लग जाएंगे
और जब ये इन्वेस्टमेंट वोट में परिवर्तित होगा ,
आपके भाग्य जग जाएंगे
ये चुनाव का खेल बड़ा कॉम्प्लिकेटेड है ,आसान नहीं है
कई हथकंडे अपनाने पड़ते है ,आपको ज्ञान नहीं है
पर जब एक बार आप पूरे उत्साह और लगन के साथ
खेल के मैदान में उतरेंगे
तो  अपनी बुद्धि और धन के बल पर ,
नैया पार लगा ही लेंगे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

बुधवार, 25 सितंबर 2019

हास परिहास

भुला कर जीवन के सब त्रास
न आने  दे  चिंता  को  पास
रहें खुश ,क्यों हम रहे  उदास
आओ हम करे हास परिहास

मिटा कर मन का सारा मैल
किसी से नहीं रखें हम बैर
समझ सब को अपना ,ना गैर
मनाएं सबकी खुशियां ,खैर
हमेशा मस्ती और उल्हास
आओ हम करें हास परिहास

करे जो इधर उधर की बात
 हटा दें चमचों की जमात
सुधर जाएंगे सब हालात
प्रेम की बरसेगी बरसात
बसंती आएगा मधुमास
आओ हम करें हास परिहास

सुने ना ,ये ऐसा वो वैसा
न देखें कंगाली ना पैसा
सभी संग ,हंस कर मिले हमेशा
पाओगे ,जिसको दोगे  जैसा
सभी के बन जाओगे ख़ास
आओ हम करें हास परिहास
 
सुनहरी सुबह रंगीली शाम
रहें हम ,निश्छल और निष्काम
हमेशा मुख पर हो मुस्कान
सभी का भला करेंगे राम
सदा खुशियों का होगा वास
आओ हम करें हास परिहास

न लेना ,देना कोई उधार
सभी में बांटो प्रेमोपहार
रखोगे यदि व्यवहार उदार
मिलेगा तुमको दूना प्यार
कर्म में अपने कर विश्वास
आओ हम करें हास परिहास

तोड़ कर चिताओं का जाल
उड़ें बन पंछी ,गगन विशाल
भुलादो ,बीत गया जो काल
न सोचो ,कल क्या होगा हाल
आज का पूर्ण मज़ा लो आज
आओ हम करें हास परिहास

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

कैसे कैसे लोग

इसतरह के होते है कुछ आदमी
ढूंढते  रहते  है औरों  में  कमी
मगर वो खुद कमी का भंडार है
ठीक होने की जिन्हे दरकार है

प्रबल इतना हुआ उनका अहम है
उनसे बढ़ कर कोई ना ये बहम  है
कमी खुद की ,नज़र उनको आई ना
देखते वो ,नहीं शायद ,आइना

घोटालों में लिप्त जिनके हाथ है
स्वार्थी  चमचे कुछ उनके साथ है
बुरे धंधे , नहीं उनसे  छूटते
जहाँ भी मिलता है मौका ,लूटते

अहंकारों से भरा हर एक्ट है
समझते खुद को बड़ा परफेक्ट है
शरीफों पर किया करते चोंट है
छुपी कोई उनके मन में खोट है

चाहते सत्ता में रहना लाजमी
इस तरह के होते है कुछ आदमी

घोटू 
गदहे  से

गदहे ,अगर तू गधा न होता
आज बोझ से लदा न होता

तेरा सीधा पन ,भोलापन
तेरा सेवा भाव ,समर्पण
समझ इसे तेरी कमजोरी ,
करवाते है लोग परिश्रम
तू भी अगर भाव जो खाता ,
यूं ही कार्यरत  सदा न होता
गदहे ,अगर तू गधा न होता

बोझा लाद ,मुसीबत कर दी
तेरी खस्ता हालत कर दी
ना घर का ना रखा घाट का ,
बहुत बुरी तेरी गत  कर दी
अगर दुलत्ती जो दिखलाता ,
दुखी और गमजदा न होता
गदहे ,अगर तू गधा न होता

तू श्रमशील ,शांतिप्रिय प्राणी
नहीं काम से आनाकानी
बिना शिकायत बोझा ढोता ,
तेरा नहीं कोई भी   सानी
सूखा भूसा चारा खाकर ,
मौन ,शांत  सर्वदा न होता
गदहे ,अगर तू गधा न होता

जो चलते है सीधे रस्ते
लोग उन्हें लेते है सस्ते
जो चुप रहते ,मेहनत करते ,
लोग उन्हें है मुर्ख समझते
अगर रेंक विद्रोह जताता ,
यूं  खूंटे से बंधा न होता
गदहे ,अगर तू गधा न होता


मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
विक्रय कुशलता

हमारी 'सेलिंग स्किल 'का नहीं है कोई भी सानी
बेचते गोलगप्पे भर ,मसाले डाल  कर पानी
बोतलें बेचते पानी की मिनरल वाटर है कह कर
वसूला करते है पैसे ,टायरों में हवा भर कर
भरा कर गुब्बारों में हम ,हवा भी बेचा करते है  
सड़े मैदे को तल ,मीठी ,जलेबी नाम धरते  है
यहाँ तक ठीक ,लोभी हम ,फायदा देख लेते है
बिना कोई हिचक के हम ,जमीर भी बेच देते है

घोटू 

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