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रविवार, 8 अक्तूबर 2017

बदलाव-शादी के बाद 

शिकायत तुमको रहती है,
बदलता जा रहा हूँ मैं ,
रहा हूँ अब न पहले सा,
बना कर तुमसे नाता हूँ 
मैं बदला तो हूँ ,पर डीयर,
हुआ हूँ ,दिन बदिन ,बेहतर 
मैं क्या था ,अब हुआ हूँ क्या ,
हक़ीक़त  ये   बताता  हूँ 
तुम्हारा साथ पाकर के ,
मैं फूला हूँ पूरी जैसा ,
मैं आटा था,छुआ तुमने ,
बना अब मैं परांठा हूँ 
मैं तो था दाल ,पर तुमने,
गला,पीसा,तला मुझको ,
दही में प्यार के डूबा ,
बड़ा अब मैं कहाता हूँ 
मैं खाली गोलगप्पे सा ,
हो खट्टा मीठा पानी तुम,
तुम मेरे साथ होती तब ,
सभी के मन को भाता हूँ 
फटा सा दूध था मैं पर ,
प्यार की चासनी डूबा ,
चौगुना स्वाद भर लाया ,
मैं रसगुल्ला  कहाता हूँ 
भले ही टेढ़ामेढ़ा सा ,
दिया था जिस्म कुदरत ने ,
तुम्हारे प्यार का रस पी,
जलेबी बन लुभाता हूँ 
तुम्हारा साथ पाकर के ,
हुआ है हाल  ये मेरा ,
तुम तबियत से उड़ा देती,
मैं मेहनत से कमाता हूँ 
तुम्हारे मन मुताबिक जब ,
नहीं कुछ काम कर पाता ,
सुधरने की प्रक्रिया में ,
हमेशा जाता डाटा हूँ 
भले कलतक मैं था पत्थर,
बन गया मोम हूँ अब पर,
मिले जब प्यार की गरमी ,
पिघल मैं झट से जाता हूँ 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
मैं एक पेड़ हूँ 

मैं सुदृढ़ सा पेड़ ,जड़े है मेरी गहरी 
इसीलिए तूफानों में भी रहती ठहरी 
भले हवा का वेग ,हिला दे मेरी डालें 
पके अधपके ,पत्ते तोड़ ,उड़ादे सारे  
पर मैं ये सब,झेला करता ,हँसते हँसते 
कभी हवा से ,मैंने नहीं बिगाड़े  रिश्ते 
क्योंकि हवा से ही मेरी गरिमा है कायम 
मैं न बदलता,लाख बदलते रहते मौसम 
तेज सूर्य का,जब मुझसे,करता टकराया 
धुप प्रचंड भले कितनी,बन जाती छाया 
छोटे बड़े सभी पत्ते ,संग संग लहराते 
मेरी डालों पर विहंग  सब  नीड बनाते 
मुझे बहुतआनंदित करता,उनका कलरव 
थके पथिक ,छाया में करते,शांति अनुभव 
जड़ से लेकर ,पान पान से ,मेरा रिश्ता 
सेवा भाव,दोस्ती देती ,मुझे अडिगता 

मदन मोहन बाहेती;घोटू'

भगवान का कम्पनसेशन 

भगवान ,
जब तूने रचे नर और नारी 
औरतों के गालों को बालविहीन चिकना बनाया,
और मर्दों के गालों पर उगा दी दाढ़ी 
पर जो एक्स्ट्रा बाल दिए मर्दों के गालों पर 
तो क्षतिपूर्ति के लिए   ,
विशेष कृपा बरसा दी ,नारी के बालों पर 
उन्हें दे दिए ,घने,रेशमी और काले कुंतल 
जिनके जाल में फंस कर ,
आदमी मुश्किल से ही सकता है निकल 
आपने देखा होगा कि बढ़ती हुई उम्र के साथ 
आदमी के सर के बाल उड़ जाते है 
वो कभी आगे से गंजे ,
या कभी पीछे से खल्वाट नज़र आते है 
पर ईश्वर की अनुकम्पा से औरतों के सर पर ,
बालों की छटा ,हरदम रहती छाई है 
क्या आपको कभी कोई औरत ,
आदमी की तरह गंजी नज़र आयी है 
भगवान ,तू बड़ा ग्रेट है 
तेरी नज़र में सब बराबर है,
तू किसी में न रखता भेद है 
अगर तेरी रचना में,
 कहीं कुछ असमानता आयी है 
तो तूने किसी न किसी तरह,
किया 'कम्पनसेट'है 

घोटू 
नकलची औरतें 

औरतें,
अपने अपने पति के ,
हृदय की स्वामिनी होती है 
फिर भी उनकी अनुगामिनी होती है 
उनके पदचिन्हो पर चलती है 
हमेशा उनका अनुसरण करती है 
जब कि आदमी ,
जो कि उन पर रीझा करता है 
उनकी तारीफों के पुल बाँध ,
उनपर मरता है 
पर कभी भी उनके,
 परिधानों की नकल नहीं करता है 
और न ही उनकी तरह ,
पहनता है कोई गहने 
क्या आपने किसी पुरुष को देखा है 
हीरे का नेकलेस या लटकते इयररिंग ,
और  हाथों में कंगन पहने 
हिंदुस्थानी औरतों का लिबास 
जो होता है साड़ी या चोली ख़ास 
क्या किसी पुरुष ने अपनाया है 
क्या कोई मर्द,
 पेटीकोट पहने नज़र आया है 
जबकि औरतें ,
पहन कर मर्दों वाले परिधान 
दिखाती है अपनी शान 
आदमी ने जीन्स पहनी,
औरतें भी पहनने लग गयी 
मर्दों जैसा ही टीशर्ट ,
जिस पर जाने क्या क्या लिखा रहता है ,
पहन कर टहलने लग गयी 
और आदमी ,
जब उस पर क्या लिखा है ,
पढ़ने  को नज़र डालता  है 
तो औरतें शिकायत करती है ,
कि वो उन पर लाइन मारता है 
आदमी का कुरता और पायजामा ,
औरतों ने पूरी तरह हथिया लिया है 
चूड़ीदार पायजामे को 'लेगिंग',
और ढीले पायजामे को'प्लाज़ो'बना लिया है 
मर्दों की हर चीज पर ,
नकलची औरतें दिखाती अपना हक़ है 
और ये एक हक़ीक़त है ,इसमें क्या शक है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 27 सितंबर 2017

विराट 

मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये 
खिलाडी  है   धुरंधर 
जोश है जिसके अंदर 
नहीं कोई से डरता 
रनो की बारिश करता 
खेलता है जब जमकर 
देखते है सब थमकर
मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये  
सभी का प्यारा है ये,खिलाड़ी सबसे सुन्दर 
दनादन मस्त कलंदर ,दनादन मस्त कलंदर 
इरादे इसके पक्के 
मारता चौके,छक्के 
कापने लगता दुश्मन 
हांफने लगता दुश्मन 
 खेलता है जब जमकर 
देखते है सब थम कर 
मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये 
खड़ा जब ये करता है ,रनो का एक समन्दर 
दनादन मस्त कलंदर,दनादन मस्त कलंदर 
शेर बन जाते बिल्ली 
उड़े जब उनकी गिल्ली 
क्रिकेट का ये दीवाना 
खिलाड़ी बड़ा सयाना
खेलता है जब जमकर 
देखते है सब थमकर 
मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये  
सेन्चुरी मारा करता,मिले जब कोई अवसर 
दनादन मस्त कलंदर,दनादन मस्त कलंदर 
क्रिकेट की जान है ये 
देश की शान है ये 
जहाँ भी जाकर खेले 
रनो की बारिश पेले
मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये 
खेलता है जब जमकर 
देखते है सब थमकर  
सभी से रखे बनाकर ,खिलाडी सबसे सुन्दर 
दनादन  मस्त कलंदर,दनादन  मस्त कलंदर
टेस्ट हो या फिर वनडे 
इसके आगे सब ठन्डे  
कोई ना आगे ठहरे 
जीत का झंडा फहरे 
मेरा विराट है ये 
क्रिकेट सम्राट है ये 
खेलता है जब जमकर 
देखते है सब थमकर 
ट्वेंटी ट्वेंटी में भी ,कोई ना इससे बेहतर 
दनादन मस्त कलंदर ,दनादन मस्त कलंदर 

मदन मोहन बाहेती'घोटू '

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