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गुरुवार, 20 अक्तूबर 2016

मैंने उमर काट दी बाकी


मैंने उमर काट दी बाकी 
इधर उधर कर ताका झांकी 
अगर खुदी में रहता खोया 
तनहाई  में करता  रोया 
डूबा रह  पिछली यादों में 
यूं ही घुटता  ,अवसादों में 
अपना सब सुख चैन गमाता 
बस,अपने मन को तड़फाता 
मैंने सोचा ,इससे बेहतर 
हालातों से समझौता कर 
तू जीवन का सुख ले हर पल,
बिना किये कोई गुस्ताखी 
मैंने उमर काट दी बाकी 
इधर उधर कर ताकाझांकी 
मैंने अपना बदल नज़रिया 
बड़े चैन का जीवन जिया 
खुश रह बाकी उमर बिताई 
हर बुराई में थी अच्छाई 
फिर कुछ सच्चे दोस्त मिल गए 
बीराने  में पुष्प  खिल  गए 
उनके संग में सुख दुःख बांटे 
दूर  किये  जीवन सन्नाटे 
सबसे हिलमिल प्रेम जताया ,
बिना किये कुछ टोकाटाकी 
मैंने उमर काट दी बाकी 
इधर उधर कर ताका झांकी 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बदलते फैशन


पहले हमारे पेंट ,
जब कभी गलती से फट जाते थे 
हम उसे रफू करवा कर ,काम में लाते थे 
जमाना कितना बदल गया है 
आजकल फटी जीन्स पहनने का ,
फैशन चल गया है 
वैसे ही ,पहले रिश्ते ,
यदि गलतफहमियों से फट जाते थे 
तो आपस में समझौते से ,रफू किये जाते थे 
लोग ,एक दूसरे का,
उमर भर साथ निभाते थे 
आजकल फटी जीन्स की तरह ही 
चल रहा है ,फटे हुए रिश्तों का चलन 
हो रहा  है परिवारों का विभाजन 
और यही बन गया है आज का फैशन 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

करवा चौथ पर



उनने करवा चौथ मनाई ,पूरे दिन तक व्रत में रह कर 
करी चाह ,पति दीर्घायु हो ,तॄष्णा और क्षुधा सह सह कर 
उनका चन्दा जैसा मुखड़ा ,कुम्हला गया ,शाम होने तक,
चंद्रोदय के इन्तजार में ,बेकल दिखती थी रह रह कर 
चाँद उगा,छलनी से देखा मेरा मुख,फिर पीया  पानी,
उनकी मुरझाई आँखों से ,प्यार उमड़ता देखा बह कर 
तप उनका,मैंने फल पाया ,ऐसा अपना स्वार्थ दिखाया ,
खुद की लंबी उमर मांग ली ,सदा सुहागन रहना,कह कर

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

करो संगत जवानों की

  

बुढापे में अगर तुमको,जोश जो भरना है जी में,
तरीका सबसे  अच्छा है ,करो सगत जवानों की 
रहेगी मौज और मस्ती,उंगलिया सब की सब घी में,
तुम्हारे चेहरे पर छा जायेगी ,रंगत  जवानों  की 
करेगी बात हंस हंस कर  ,हसीना नाज़नीं  तुमसे,
भले अंकल पुकारेगी ,तो इसमें हर्ज ही क्या है,
तुम्हारी सोच बदलेगी,जवां समझोगे तुम खुद को,
रखेगी,सजसंवर कर 'फिट',तम्हे सोहबत जवानों की 
चढ़े परवान पर फिर से ,तुम्हारा जोश और जज्बा ,
तुम्हारे तन की रग रग में,जवानी फिर से दौड़ेगी ,
सफेदी सर की तुम्हारे,हो काली ,लहलहायेगी,
लौट फिर तुम में आएगी,वही हिम्मत जवानों की 
उमर के फासले की जब झिझक मिट जायेगी तो फिर,
तुम्हारे अनुभवों  का लाभ ,पायेगी नयी  पीढ़ी ,
कभी तुम उनसे सीखोगे,कभी वो तुमसे सीखेंगे ,
तुम्हारा दिल भी खुश होगा ,यूं पा उल्फत जवानों की 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुढापा-एक सोच


जवानी  में तो  यूं  ही, सुहाना  संसार  होता है 
उमर के साथ जो बढ़ता ,वो सच्चा प्यार होता है 
बुढापा कुछ नहीं ,एक सोच है ,इसको बदल डालो ,
पुराना जितना , उतना  चटपटा  अचार होता है 
न चिता काम की,फुरसत ही फुरसत ,मौज मस्ती है,
यही तो वो उमर है ,जब चमन  ,गुलजार होता है 
ताउमर ,काम कर मधुमख्खियों सा,भरा जो छत्ता ,
बची जो शहद ,चखने का ,यही त्योंहार होता है 
अपनी तन्हाई का रावण जला दो,मिलके यारों से,
जला दीये दिवाली के,दूर अन्धकार होता है 
प्रभु में लीन होने से, पूर्व का पर्व  ये  सुन्दर,
हमारी जिंदगी में  ,सिर्फ बस एक बार होता है 
यूं तो दिलफेंक कितने ही ,दिखाते दिलवरी अपनी,
निभाता साथ जीवन भर ,वही दिलदार होता है
 
मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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