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सोमवार, 11 नवंबर 2013

सर्दियों की दस्तक

        सर्दियों की दस्तक 

                          
नारियल के तेल में अब ,
श्वेत श्वेत कुछ रेशे
           ऐसे मंडराने लगे है
जैसे झील के किनारे ,
विदेशी सैलानी पक्षी,
            फिर से अब आने लगे है
अंग जो तरंग  भरते ,
उमंगें  नयी तन में,
            अब ढके जाने लगे है
सांझ  आये ,सिहरता तन
क्योंकि  सूरज देवता भी ,
              जल्दी घर जाने लगे है
गरम गरम चाय ,काफी,
प्याज ,आलू के पकोड़े
                आजकल  भाने लगे है
दे रही है  शीत दस्तक,
ऐसा लगता सर्दियों के,
                अब तो दिन आने लगे है  
घोटू 

रविवार, 10 नवंबर 2013

मनेगी कैसे दिवाली -अपनी तो है प्लेट खाली

  मनेगी कैसे दिवाली -अपनी तो है प्लेट खाली

बिन मिठाई यूं ही जी कर
करेले का ज्यूस  पी कर
                  मनेगी  कैसे दिवाली
जलेबी,रसगुल्ले ,चमचम
रोज खाना चाहता मन
                       मगर अपनी प्लेट खाली
तला खाना नहीं मिलता
तेल दीये में है जलता
                      और हम बस जलाएं दिल
लोग सब पकवान खाते
और हमको है पकाते
                        हमारे  संग यही मुश्किल
रक्त में है शकर संचित
इसलिए है हमें वर्जित
                       स्वाद सब मिठाइयों का
खाएं सब गुलाब जामुन
हमें मिलता सिर्फ चूरन
                       वो भी जामुन गुठलियों का

भले होली या दिवाली
दवाई की  गोली  खाली
                       लगे है प्रतिबन्ध सारे
कैसा ये त्योंहार प्यारा
मीठा ना हो मुंह हमारा
                         नहीं कुछ आनंद प्यारे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 9 नवंबर 2013

रावण दहन

                 रावण दहन

आज मारो एक रावण,दूसरा कल फिर खड़ा है
और अगले बरस वाला ,आज वाले से बड़ा है
दर्प का रावण हमेशा ,तामसी है, तमतमाता
भेष धर कर साधू का ,सदभाव की सीता चुराता
मान का हनुमान लेकिन ,ढूँढता  सीता ,निरंतर
पार करता,लांघ जाता ,प्रलोभन के ,सब समंदर
और उसकी ,पूंछ प्रिय पर,आग जब रावण लगाता
कोप कपि का उग्र होकर ,स्वर्ण की लंका जलाता
धर्म और विवेक ,बन कर ,राम,लक्ष्मण ,सदा आते
वानरों की फ़ौज लेकर,गर्व रावण का मिटाते
हर दशा में,दशानन के ,अहम् का है हनन होता
हम मनाते हैं दशहरा और   रावण  दहन होता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

टायर ,हवा और हम

       टायर ,हवा और हम

जब तलक थे नौकरी में ,शान से चलते थे हम ,
                       भरी हो जिसमे हवा ,हम  ऐसे टायर की तरह
घिसा टायर और रिटायर हुए तो ऐसा लगा ,
                          हवा सारी निकाली ,कोई ने पंक्चर की तरह
जोड़ कर पंक्चर को फिर से भरो तुम ताज़ी हवा ,
                           आपको महसूस होगी ,एक नयी सी ताज़गी
रिटायर टायर में रीट्रेडिंग करा कर देखिये ,
                            नया लुक आ जाएगा और जायेगी बढ़ जिंदगी
टायरों में जो हवा का ठीक हो प्रेशर ,अगर,
                              तभी गाडी ठीक चलती ,वरना जाती डगमगा
आदमी की  जिंदगी  में ,बड़ी आवश्यक हवा ,
                                  हवा से ही सांस है और जिंदगी का सिलसिला
वायु के विकार से ,आती कई है व्याधियां ,
                                   इसलिए यह जरूरी है,नियंत्रित  वायु  रहे
करें प्राणायाम निश  दिन ,घूम लें ताज़ी हवा ,
                                     स्वस्थ तब ही रहे तन मन,दीर्घ ये आयु रहे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  

रात अच्छी नींद आयी

         रात अच्छी नींद आयी

कष्ट ना कुछ,नहीं पीड़ा
न ही काटा  कोई कीड़ा
 रात सारी मधुर सपनो में ही खो कर के बितायी
                                     रात अच्छी नींद आयी
मै थका था,तुम थकी थी
नींद भी गहरी लगी  थी
नहीं हर दिन कि तरह से ,भावनाएं कसमसाई
                                      रात अच्छी नींद आयी
रही दिन भर व्यस्त इतनी
हो गयी तुम पस्त इतनी
पडी बिस्तर पर तुम्हारे ,पड़े खर्राटे सुनायी
                                   रात अच्छी नींद आयी
नींद में ग़ाफ़िल हुई तुम
मौन पसरा रहा ,गुमसुम
करवटें हमने न बदली ,ना ही खटिया चरमराई
                                   रात अच्छी नींद आयी
रहे डूबे  हम मजे में  
नींद के मादक नशे में
क्या पता कब रात गुजरी ,क्या पता कब भोर आयी
                                      रात अच्छी नींद आयी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'         


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