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सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

आओ हम तुम चले प्रयाग 
एक डुबकी संगम में ले ले, धन्य हमारे भाग 

एक सौ चुम्मालिस वर्षों में आया यह संजोग 
महाकुंभ का लाभ उठाने पहुंचे कितने लोग

 कितने सारे साधु बाबा योगी और महंत 
कई अखाड़े मंडलेश्वर के, एकत्रित सब संत

 बड़े-बड़े भंडारे चलते, कथा ,यज्ञ ,उपदेश 
इस अवसर का लाभ उठाने पहुंचा पूरा देश 

उमड़ रही है भीड़ कर रहे हैं सब गंगा स्नान 
उठा रहे हैं परेशानियां, नहीं रहे पर मान

एक डुबकी में पुण्य कमाते और धो रहे पाप 
इस मौके से फिर क्यों वंचित रहते मै और आप

दिखा रहे हैं धर्म सनातन के प्रति निजअनुराग 
हर हिंदू में ,धर्म आस्था ,आज गई है जाग

 आओ हम तुम चले प्रयाग 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

84 वें जन्मदिन पर 

कोई निशा अमावस सी थी 
कोई रात थी पूरनमासी 
जैसे तैसे ,एक-एक करके,
 कटे उमर के बरस तिर्यासी 

टेढ़ा मेढ़ा जीवन पथ था,
कई मोड़ थे ,चौड़े ,सकड़े 
मैंने पार किया सब रस्ता,
बस धीरज की उंगली पकड़े 
मिला साथ कितने अपनों का 
कई दोस्त तो दुश्मन भी थे 
कभी धूप, तूफान , बारिशे ,
तो बासंती मौसम भी थे 
महानगर की चमक दमक में
 भटका नहीं ग्राम का वासी
जैसे जैसे ,एक-एक करके 
कटे उमर के बरस तिर्यासी 

हंसते गाते बचपन बीता,
 बीती करते काम, जवानी 
अब निश्चिंत,जी रहे जीवन ,
आया बुढ़ापा, उम्र सुहानी 
बाकी ,कुछ ही दिन जीवन के 
उम्र जनित, पीड़ाएं सहते 
लिखा नियति का भोग रहे हैं 
फिर भी हम मुस्कुराते रहते 
जैसे भी कट जाए ,काट लो ,
भेद ये गहरा ,बात जरा सी 
जैसे तैसे, एक-एक करके 
कटे उम्र के बरस तिर्यासी 

मदन मोहन बाहेती घोटू 

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

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शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

सर्दी से निवेदन 

अभी ना जाओ छोड़ कर 


सर्दी में ऐलान कर दिया मैं जाती हूं 

गर्मी बोली खुश हो जाओ मैं आती हूं 

इतनी जल्दी लगा बदलने मौसम करवट 

छोटी होने लगी प्रेम की रातें नटखट 

हमने बोला सर्दी रानी क्या है जल्दी

अभी-अभी तो तुम आई थी, झट से चल दी

 उठा ना पाए हम,तुम्हारा मजा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


 हुआ रुवासा कंबल रोने लगी रजाई 

इतना लंबा इंतजार करवा तुम आई 

रहे साल भर हम बक्से में यूं ही सिमट कर थोड़ा सुख पाया था तुमसे लिपट चिपट कर 

तुम आई तो प्यार लुटाया सब पर सच्चा 

कुछ दिन और अगर रुक जाती होता अच्छा 

 अभी ठीक से हृदय हमारा मिला नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं 


कहा धूप में मेरी तपन सभी को चुभती 

बस सर्दी में ही मैं सबको अच्छी लगती 

तुम जाओगी ,लोग मुझे भी ना पूछेंगे 

कोशिश होगी मुझे हटकर दूर भगेंगे 

हम तुम तो बहने हैं तुम्हें वास्ता रब का 

थोड़ी दिन तो प्यार मुझे पाने दो सबका 

मेरे दुख  की चिंता तुमको जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


तभी गिड़गिड़ा बोल उठा गाजर का हलवा दिखता सर्दी में ही सबको मेरा जलवा 

हुई रूवासी गजक ,रेवड़ी बोली रो कर 

तुम जाती तो लोग भूलते हमको अक्सर 

तुम रुक जाती तो ठंडा करती मौसम को 

कुछ दिन तक तो स्वाद लुटाने देती हमको 

जिद छोड़ो तुम, ख्याल हमारा जरा नहीं 

अभी न जाओ छोड़ कर के दिल अभी भरा नहीं


मदन मोहन बाहेती घोटू

सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

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