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रविवार, 8 अक्टूबर 2023

राधा तू बड़भागिनी, कौन तपस्या कीन

तीन लोक तारण तरण

है तेरे आधीन 


राधे राधे तेरे नाम ने, सबके कारज साधे

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे 


राधे तू बरसाने वाली

सब पर सुख सरसाने वाली 

तेरी सूरत प्यारी प्यारी 

कान्हा के मन भाने वाली 

अपनी प्यारी युगलछवि के

तू दर्शन करवा दे 

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे


मेरे प्यारे कृष्ण मुरारी 

मेरे गोवर्धन गिरधारी 

ऐसी प्रीत लगाई तुझ पर

वो तो जाएं वारी वारी

मुग्ध हो गए,तेरे रूप ने

रक्खा उनका बांधे 

बोलो राधे राधे राधे बोलो राधे राधे राधे 


कान्हा बंसी मधुर बजाते 

कान्हा तुझ पर प्यार लुटाते 

जमुना तट पर, बंसी वट पर 

तुझ संग रास रचाते

एक झलक उस महारास की

 हमको भी दिखला दे 

बोलो राधे राधे राधे ,बोलो राधे राधे राधे


 कान्हा ऐसे भये दीवाने 

प्रीत तेरे संग जोड़ी 

राधे कृष्णा , राधे कृष्णा

अमर हो गई जोड़ी 

हम भक्तों पर भी थोड़ी सी

किरपा तू बरसा दे 

बोलो राधे राधे राधे

बोलो राधे राधे राधे


मदन मोहन बाहेती घोटू 

शनिवार, 30 सितंबर 2023

आई दिवाली रे

दीप चमकते ,जगमग जगमग 
हर घर चमके ,जगमग जगमग 
सबके चेहरा है, जगमग जगमग 
साथ खुशियां मनाये परिवार रे 
आया दीपावली त्योहार रे 

हर दीपक में भरा प्रेम रस 
बाती ज्योतिर्मय करती जग 
पूनम सी हो गई अमावस 
दूर हुआ अंधकार रे 
आया दीपावली त्यौहार रे

चौदह वर्षों वन में रहकर 
आज अयोध्या आए रघुवर 
दीप जलाए ,सबने घर-घर 
करने प्रभु जी का सत्कार रे 
आया दीपावली त्यौहार रे

श्री लक्ष्मी गणेश का पूजन 
बड़े प्यार से करता हर जन 
घर-घर बनते छप्पन व्यंजन 
सब लोग लुटाते प्यार रे
आया दीपावली त्यौहार रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 25 सितंबर 2023

चिर यौवन 


बचपन ,यौवन,वृद्धावस्था ,

ये जीवन का क्रम सदा रहे 

पर हर कोई करता प्रयास,

वह जब तक जिये ,जवां रहे 

खा लेने भर से च्यवनप्राश

हर दम ना टिकता है यौवन 

या शिलाजीत का सेवन कर

होता मजबूत शिला सा तन 

क्षरण नियम है प्रकृति का ,

होती है उम्र जब साठ पार 

आता है बुढ़ापा हर तन पर ,

दस्तक देता है बार-बार 

पर वृद्धावस्था से तुमको 

जो टक्कर लेकर जीना है 

हंसते-हंसते मरते दम तक

 यौवन का अमृत पीना है 

तो अपना हृदय जवान रखो 

तुम अपनी सोच जवान रखो 

मत देखो श्वेत केश ,मन में,

तुम यौवन का तूफान रखो 

मन में फुर्तीले होने से ,

फुर्तीला हो जाता तन है 

डर दूर बुढ़ापा भग जाता, 

कायम रहता चिर यौवन है 

रहते उमंग और जोश भरे ,

जो खुश रहते हंसते गाते 

मन से जवान वो रहते हैं 

चिर युवा वही है कहलाते


मदन मोहन बाहेती घोटू

जीवन में सफलता के सूत्र


कई समस्यायें जीवन की हल होंगी

बस थोड़ा व्यवहार कुशल हो जाओ तुम

कोई से जब मिलो ,मिलो अपनेपन से, और गर्म जोशी से हाथ मिलाओ तुम 


जब  कुछ बोलो,बोल तुम्हारे मीठे हो,

होठों पर मुस्कान ,खुशी हो चेहरे पर 

दीन दुखी की सेवा और मदद करने,

अपने तन और मन से सदा रहो तत्पर


 मिलो बुजुर्गों से तो उनको नमन करो,

बच्चों से मिल,प्यार उन्हे तुम जतलाओ 

हो गंभीर करो सब बातें बिजनेस की,

अपना दृष्टिकोण अच्छे से समझाओ 


होगा अगर आचरण जो व्यवहार कुशल

सदा सफलता पाओगे तुम जीवन में 

ज्यादा मुंह फट होना भी है ठीक नहीं ,

कुछ बातों को रखना पड़ता है मन में


बिगड़ी बातें बनती *सौरी*कहने से ,

और*थैंक यू *सुन खुश हो जाताअगला 

नारीशक्ति की सदा प्रशंसा करने से,

 तुम्हारा जीवन में होगा बहुत भला 


क्या कब करना सोच समझकर निर्णय लो

परिस्थिति को पहले देखोभालो तुम 

ये सब सूत्र सफलता के हैं जीवन में,

सुखी रहोगे अगर इन्हें अपनालो तुम 


मदन मोहन बाहेती घोटू

मन बूंदी बूंदी हो जाता


तुम रसगुल्ले सी रसभीनी ,

मीठी बातें जब करती हो 

तो गरम चासनी में डूबा,

 मन बूंदी बूंदी हो जाता 


जब तन की गरम कढ़ाही में

वह दूध खौलता ,गरम-गरम,

 मीठी रबड़ी सा स्वाद भरा,

 यह मन बासूंदी हो जाता 


जब गोल-गोल टेढ़े मेढे,

करती हो कई बहाने तुम 

आता है स्वाद जलेबी का, 

मैं बड़े चाव से खाता हूं 


जब तुम शरमाती गालों पर,

तो गाजर के हलवे जैसी,

 छा जाती गुलाबी रंगत है 

मैं स्वाद अनोखा पाता हूं


मुंह खोल,अधर कर चौड़े से

जब गटकाती पानीपुरियां ,

मुझको लगता है चुम्बन का

यह तुम्हारा आवाहन है 


जब चाट, चाट चटकारे भर ,

तुम सीसी, सीसी करती हो 

तो तुम्हें देख कर जाने क्या 

सोचा करता मेरा मन है 


तुम डोमिनो के पिज़्ज़ा सी,

 या मैकडॉनल्ड की बर्गर हो 

तुम मोमो जैसी स्वाद भरी ,

या जैसे गरम समोसा हो 


तुम हो आलू की टिक्की सी 

या छोले और भटूरे सी

इडली सी नरम मुलायम तुम

 स्वादिष्ट मसाला डोसा हो 


तुम हो वेजिटेबल पुलाव 

या कभी सयानी बिरियानी,

मैं दाल माखनी के जैसा 

मिल-जुल कर स्वाद बढ़ाता हूं 


तुम मधुर मधुर पकवान डियर 

मैं खानपान शौकीन बहुत 

हर स्वादिष्ट व्यंजन का मैं ,

तुममें स्वाद पा जाता हूं


मदन मोहन बाहेती घोटू

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