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रविवार, 30 अप्रैल 2023

कर्म करो 

जो होना है ,वह है होता 
करो नहीं तुम ,यह समझौता 
तुम तकदीर बदल सकते हो ,
भाग्य जगा सकते हो सोता 

सिर्फ भाग्य का रोना रोकर ,
अगर कर्म करना छोड़ोगे 
बिन प्रयास के आस करोगे 
तो अपना ही सर फाेड़ोगे 
सच्ची मेहनत और लगन से ,
अगर प्रयास किया है जाता 
बाधाएं सारी हट जाती 
ना मुमकिन ,मुमकिन हो जाता 
उसको कुछ भी ना मिल पाता,
 भाग्य भरोसे जो है सोता 
 जो होना है ,वह है होता 
 करो नहीं ,तुम यह समझौता 
 
सच्चे दिल से कर्म करोगे,
 तुम्हें मिलेगा फल निश्चय ही 
 मेहनत करके जीत मिलेगी 
 आज नहीं तो कल निश्चय ही 
 रखो आत्मविश्वास ,सफलता ,
 तब चूमेगी चरण तुम्हारे 
 वो ही सदा जीत पाते हैं ,
 कभी नहीं जो हिम्मत हारे 
 निश्चय उसे विजय श्री मिलती 
 कभी नहीं जो धीरज खोता
  जो होना है ,वह है होता 
  करो नहीं तुम यह समझौता 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
तारा जी के जन्मदिवस पर 

तुम छिहत्तर, मैं इक्यासी
 प्यार हमारा, हुआ न बासी
 
 प्रिय, तुमने मुझको जीवनभर 
 दिए खुशी के कितने ही पल 
 
 आज तुम्हारे जन्मदिवस पर 
 चाहूं लौटाना , दूने कर 
 
 ऐसा कुछ दूं,जो मन भाए 
 तुम्हारा श्रृंगार बढ़ाएं 
 
 जिसे देख कर मन हर्षाये 
 और खुशी चेहरे पर छाये
 
 हीरक हार , भेंट है तुमको 
 मेरा प्यार ,भेंट है तुमको
 
 गोरे तन पर स्वर्ण दमकता
 हर हीरे में, प्यार चमकता 
 
 जैसे गले लगाया मुझको
 गले लगा कर रखना इसको

मदन मोहन बाहेती 

सोमवार, 24 अप्रैल 2023

लकीरों का खेल 

कोई अमीर है ,कोई गरीब है 
कोई पास है ,कोई फेल है 
यह सब किस्मत की लकीरों का खेल है 
कहते हैं आपका हाथ, जगन्नाथ है,
पर असल में हाथ नहीं, हाथ की लकीरें जगन्नाथ होती है 
जो आपकी जिंदगी में आपका भविष्य संजोती है 
कुछ लकीरें  सीधी तो कुछ  वक्र होती है 
ये हाथों की लकीरें ही जीवन का चक्र होती है 
जो पूर्व जन्म के कर्मों के से हाथ पर बनती है 
और इस जन्म के कर्मों के अनुसार बनती और बिगड़ती है 
कहते हैं किसी भी आदमी के अंगूठे की सूक्ष्म लकीरें ,
दुनिया के किसी अन्य आदमी से नहीं मिलती है 
जीवन पथ की लकीरें टेढ़ी-मेढ़ी ऊंची नीची हुआ करती है ,
जो कई मोड़ से गुजरती है 
ये लकीरें गजब की चीज है ,
चिंता हो तो माथे पर लकीरें खिंच जाती हैं 
बुढ़ापा हो तो शरीर पर झुर्रियां बनकर बिछ जाती है 
औरत की मांग में भरी सिंदूर की लकीर
 सुहाग का प्रतीक है 
 नयनों को और कटीला बनाती काजल की लीक है 
 कुछ लोगों के लिए पत्नी की आज्ञा पत्थर की लकीर होती है 
 नहीं मानने पर बड़ी पीर होती है 
 लक्ष्मण रेखा को पार करने से, हो जाता है सीता का हरण 
 मर्यादा की रेखा में रहना ,होता है सुशील आचरण 
 कुछ लोग लकीर के फकीर होते हैं 
 पुरानी प्रथाओं का बोझ जिंदगी भर ढोते हैं 
 कुछ लोग सांप निकल जाता है पर लकीर पीटते रहते हैं 
 कुछ पुरानी लकीरों पर खुद को घसीटते रहते हैं भाई भाई जो साथ-साथ पलकर बड़े होते हैं 
 धन दौलत और जमीन के विवाद में उनमें जब लकीर खिंच जाती है ,
 तो अदालत में एक दूसरे के सामने खड़े होते हैं 
 ये लकीरें बड़ा काम आती है 
 बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का नक्शा लकीरें ही बनाती है दुनिया के नक्शे में लकीरें सरहद बनाती है 
 नारी के शरीर की वक्र रेखाएं,
 उसे बड़ी मनमोहक बनाती है 
 अच्छा यह है कि हम 
 भाई बहनों के बीच 
 यार दोस्तों के बीच
 पति-पत्नी के बीच 
 विवाद की कोई लकीर खींचने से बचें 
 और चेहरे पर मुस्कान की लकीर लाकर 
 सुख से रहें और हंसे

मदन मोहन बाहेती घोटू

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

म की महिमा 

बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वो म सीखता है 
पाकर मां की ममता और दुलार 
पिता और भाई बहनों का प्यार 
मिलजुल कर रहने का भाव हम सीखता है 
बच्चा सबसे पहले जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले म सीखता है 

फिर वह सीखता है बारहखड़ी 
पढ़कर किताबें फिर बड़ी-बड़ी 
उसका मैं जागृत हो जाता है 
और वह अहम सीखता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है 
तो सबसे पहले वह म सीखता है 

फिर जब जगती किसी के प्रति चाह
 और हो जाता है उसका विवाह 
 तो वह मां की ममता का म भुला देता है 
 भाई बहन के प्यार का हम भुला देता है 
 यहां तक की अपना मैं याने अहम भुला देता है पत्नी के आगे पीछे डोलता है 
और बस यस मैडम यस मैडम ही बोलता है 
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहिले वह म सीखता है 

और जब बुढ़ापा आ जाता है 
तो फिर कोई भी म काम नहीं आता है 
और एक ही म करता है मुक्ति देने का काम 
और वह होता है राम का नाम 
बचपन की मां के नाम के साथ सीखा म,
राम के नाम के म में बदल जाता है 
और यह म ही अन्त समय काम आता है
बच्चा जब बोलना सीखता है
तो सबसे पहले वह म सीखता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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