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सोमवार, 5 सितंबर 2022

हिप हिप हुर्रे,हिप हिप हुर्रे
 नेता बन उड़ाओ गुलछर्रे 
 
पैसा हो जो अगर पास में 
हो कुछ धंधे की तलाश में 
करना अगर कहीं इन्वेस्ट 
लड़ो चुनाव, यह निवेश बेस्ट 
बनो विधान सभा एमएलए 
और वह भी स्वतंत्र अकेले 
सीख लो थोड़ी भाषणबाजी
कहलाओगे तुम नेताजी
मिली-जुली आए सरकार 
मंत्री पद निश्चित है यार 
बढ़ जाएंगे भाव तुम्हारे 
हो जाएंगे वारे न्यारे 
पांचों उंगली होगी घी में 
खाओ कमाओ आए जो जी में 
उलटफेर का आए मौका 
सत्ता दल को देकर धोखा 
गए पार्टी को जो छोड़
तुम्हें मिलेंगे कई करोड़
और रिसोर्ट में मौज उड़ाओ 
मनचाहा पियो और खाओ 
लगे न हींग, फिटकरी हर्रे 
 खूब उड़ाओ तुम गुलछर्रे 
 हिप हिप हुर्रे हिप हिप हुर्रे

मदन मोहन बाहेती घोटू 

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

धन्यवाद

 यह सब किस्मत का फेरा था
  मुझे बीमारी ने घेरा था 
इतना  ज्यादा मैं घबराया,
 आंखों आगे अंधेरा था
  इतनी ज्यादा कमजोरी थी 
  चलना फिरना भी दूभर था 
  बचा नहीं था दम पैरों में,
  और पूरा तन ही जर्जर था 
  तबीयत थी इतनी घबराई 
  लगता था अंतिम घड़ी आई 
  तब डॉक्टर ने देवदूत बन
  किया इलाज दिया नवजीवन
   शुभचिंतक ने सच्चे मन से 
   करी प्रार्थना थी भगवन से 
   दुआ, दवा ने असर दिखाया 
   मैं विपदा से बाहर आया 
   धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ कर 
   मेरी हालत अब है बेहतर 
   पूर्ण स्वस्थ होने में लेकिन
    अभी लगेंगे कितने ही दिन 
    आप सभी से विनती इतनी
    कृपा बनाए रखना अपनी
    
    धन्यवाद
मदन मोहन बाहेती घोटू 
अंधे की रेवड़ी 

लग जाती है रेवड़ी, जब अंधे के हाथ 
वह अपनों को बांटता, भरकर दोनों हाथ
भरकर दोनों हाथ, मुफ्त का माल लुटाता 
दरिया दिली दिखाकर, वाही वाही पाता 
बदले में कुछ नहीं कृपा इतनी कर देना 
बसअगले चुनाव में वोट मुझी को देना

घोटू 
मन की बात

 तेरे मन की बात और है
  मेरे मन की बात और है
  यूं तो बंधे कई बंधन में 
  रिश्ते नाते ,भाई बहन में 
  मगर सात फेरों का बंधन ,
  इस बंधन, की बात और है
  तेरे मन की बात और है 
  मेरे मन की बात और है
  
 यूं तो छाते, काले बादल ,
 सबके मन को है हर्षाते
 रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम ,
 मोती की बूंदे बरसाते
 पर जिस बारिश हम तुम भीगे ,
 उस सावन की बात और है 
 तेरे मन की बात और है
 मेरे मन की बात और है


 राधा कृष्ण प्रेम गाथाएं,
 बृज की गली गली में फैली 
 मोह रही है ,गोपी के संग ,
 छेड़ाछेड़ी वह अलबेली 
 महारास पर जहां रचा, 
 उस वृंदावन की बात और है 
 तेरे मन की बात और है 
 मेरे मन की बात और है

 रहे भटकते हम जीवन भर 
 आज यहां ,कल वहां बिताया 
 जैसा लेख लिखा नियति ने 
 वैसा खेला कूदा खाया 
 पर जिस आंगन बचपन बीता 
 उस आंगन की बात और है 
 तेरे मन की बात और है
 मेरे मन की बात और है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
ओ गिरधारी, छवि तुम्हारी 
मुझको एक बार दिखला दो 
गोप गोपियों पर बरसाया,
 वही प्यार मुझ पर बरसा दो 
 यमुना तट पर ,बंसी वट की,
  बस थोड़ी सी छैया दे दो 
  राधा के संग रास रचाते 
  दर्शन ,कृष्ण कन्हैया दे दो 
  
माटी खाते , मुंह खुलवाते,
तीन लोक की छवि दिखला दो 
चोरी-चोरी ,हंडिया फोड़ी,
बस उसका मक्खन चखवा दो 
कान उमेठ, पेड़ से बांधे ,
मुझे जसोदा मैया दे दो 
राधा के संग रास रचाते ,
दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो 

बृज कानन में, मुरली की धुन,
 मुझको भी पड़ जाए सुनाई 
 धेनु चलाते, बस मिल जाए ,
 कान्हा, दाऊ ,दोनों भाई 
 नन्हे बछड़े संग रंभाती
 मुझको कपिला गैया दे दो 
 राधा के संग रास रचाते ,
 दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो 
 
बरसाने की राधा रानी ,
और गोकुल का कान्हा प्यारा 
ठुमुक ठुमुक, चलता घर भर में
हृदय मोहता, नंददुलारा,
नजर बचाने , यशुमत मैया,
 लेती हुई बलैया दे दो 
 राधा के संग रास रचाते 
 दर्शन कृष्ण कन्हैया दे दो

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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