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बुधवार, 10 नवंबर 2021

Keep in touch and New fashion bags for 2022 !

Dear bahetimmtara1:

   Good morning. how are you doing?

   This is bruce from Yiwu zhijian bags Co.,LTD which was SMETA(4 pillar SEDEX) audited plants in CHINA. It is been a long time not hearing from you side since the Globalsources/Alibaba/121 Canton fair/MEGA SHOW, did you have any Purchase plans for the bags in 2022 ?

   Along with the new style bag as we developed,here we collecting some of them in catalouge to you as referencea s closed here, any interested intems.welcome to contact us any time.


Sincerely yours.
Bruce
Director
Expt Dept
YIWU ZHIJIAN BAGS CO.,LTD
p: 0086-579-86680309  m: 0086-18057970309
f: 0086-579-85135034  skype: bruceliuqing
w: www.zj-bags.net​  e: zjbags1@zj-bags.net
​  

SMETA (SEDEX 4 pillar) audited by BV (SEDEXcode:ZC410512140)

​​​​​​​

 


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रविवार, 7 नवंबर 2021

Re:

Wah tauji :D

Ekdum zaikedar poem hai 

On Sun, Nov 7, 2021, 12:13 PM madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com> wrote:
आयुष का इंदौरी प्यार 

नाश्ते में प्यार के पोहे जलेबी,
 सेव मिक्चर जीरावन नींबू मिलाके 
 लंच में उल्फत के घी में तरमतर जो ,
 वो मुलायम बाफले खाता दबाके 
 साथ में मीठा तेरी बातों के जैसा,
 चूरमा है केसरी मन को लुभाता 
 शाम को मैं मोहब्बत से भरी पेटिस,
  नर्म भुट्टो का सुहाना किस मैं पाता 
  बहुत दिन के बाद ये पकवान पाए 
  प्यारा का मौसम त्योंहारी हो गया है 
  चाह छप्पन भोग की पूरी हुई है,
  आजकल यह मन इंदौरी हो गया है

घोटू
आयुष का इंदौरी प्यार 

नाश्ते में प्यार के पोहे जलेबी,
 सेव मिक्चर जीरावन नींबू मिलाके 
 लंच में उल्फत के घी में तरमतर जो ,
 वो मुलायम बाफले खाता दबाके 
 साथ में मीठा तेरी बातों के जैसा,
 चूरमा है केसरी मन को लुभाता 
 शाम को मैं मोहब्बत से भरी पेटिस,
  नर्म भुट्टो का सुहाना किस मैं पाता 
  बहुत दिन के बाद ये पकवान पाए 
  प्यारा का मौसम त्योंहारी हो गया है 
  चाह छप्पन भोग की पूरी हुई है,
  आजकल यह मन इंदौरी हो गया है

घोटू

शनिवार, 30 अक्टूबर 2021

नटखट

सब कहते जब मैं बच्चा था ,मैं शैतान बड़ा नटखट था
कभी चैन से नहीं बैठता, करता रहता उलट पलट था
सभी चीज कर जाता था चट
मैं था नटखट, नटखट नटखट
बढ़ा हुआ पत्नी  कहने पर नाचा करता बनकर नट मैं
नहीं चैन पलभर भी पाया,फंसा गृहस्थी की खटपट में  
काम सभी करता था झटपट
मैं था नटखट ,नटखट नटखट
अब बूढ़ा हूं ,मेरे अस्थिपंजर के ढीले हैं सब नट 
लेटा रहता पड़ा खाट पर, मुझसे ना होती है खटपट
 हर एक उम्र में झंझट झंझट 
 रहा उमरभर,नटखट नटखट

मदन मोहन बाहेती घोटू

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