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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

बीस की बिदाई

जाओ बीस तुम,लेकर जाओ ,कोरोना को साथ में
ताकि फिर से सुख और शांति आ जाए हालात में

आया कोरोना ,एक बहेलिया ,फंसा जाल में हमे लिया
हम उन्मुक्त गगन में उड़ने वालों को था कैद किया
रहे फड़फड़ा पंख ,बंद हम ,पिंजरे में ही सारे थे
भूल चहकना गये ,मौन सब ,परेशानियों मारे थे
दहशत छोड़ ,मिले आजादी ,उड़े खुले आकाश में
जाओ बीस तुम ,लेकर जाओ ,कोरोना को साथ में

हटे बंदिशें ,बाजारों में ,पहले जैसी रौनक हो
हंसी ख़ुशी मिल ,सभी मनाये ,त्योंहारों में रंगत हो
खुलें सिनेमाहाल ,रेस्त्रां,मस्ती हो और चहल पहल
फिर से वही पुराने ढर्रे ,आये जिंदगी की हलचल
ऐसा इक्कीस आये ,भिगो दे ,खुशियों की बरसात में
जाओ बीस तुम ,लेकर जाओ ,कोरोना को साथ में

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

स्वर्ग में न्यू ईयर पार्टी

कोरोना की बंदिश मारे ,हम सारे 'इन डोर 'हैं
मगर स्वर्ग में नये वर्ष  की दावत का अब दौर है
जब से महाशय धर्मपाल जी ,हुए स्वर्ग के वासी है
एम डी एच मसालों की वहां रौनक अच्छी खासी है
सभी सब्जियों में खुशबू और स्वाद नया अब आता है
चाट मसाला ,रम्भा और उर्वशी मन ललचाता है

घोटू 

बुधवार, 30 दिसंबर 2020

वो रविवार

जवानी में ,
जब मन में एक ही धुन थी सवार
इतना बढ़ाऊं अपना कारोबार ,
कि अपने परिवार को दूँ संवार
इसलिये सोमवार से शनिवार ,
सिर्फ व्यापार ही व्यापार
पर हफ्ते में सिर्फ एक बार
जब आता था रविवार
तो मेरे संग होता था पूरा परिवार
जिनके साथ वक़्त बिताकर ,
नहीं रहता था ख़ुशी का पारावार
किन्तु अब बढ़ती हुई उमर में ,
जब मैं हूँ  बेकार
बच्चे संभालते है कारोबार
हर दिन छुट्टी है ,हर वार है रविवार
पर बिखर गया है परिवार
बच्चों ने बसा लिया है अपना अपना घर
अब मैं और मेरी पत्नी है केवल
तब याद आते है बार बार
वो रविवार
जब मस्ती में साथ रहता था सारा परिवार

घोटू 
आया सन इक्कीस रे

मन तड़फाकर ,हमे सताकर ,गया बीत सन बीस रे
अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस  रे

कोरोना ने कहर मचाया ,कितनो के ही प्राण हरे
नौ महिने से अधिक बिताये ,घर में घुस कर ,डरे डरे
दशहत मारे ,हम बेचारे ,सब इतने मजबूर रहे
बना दूरियां ,अपनों से ही ,उनसे दो गज ,दूर रहे
मुंह पर पट्टी बंधी ,कभी ना हटी ,रही मन खीस रे
अब है मन में चाह ,नया उत्साह ,लाये इक्कीस रे

हुआ प्रकृती का कोप ,बढ़ गए रोग आपदायें आई
आये कहीं भूकंप ,कहीं तूफ़ान ,बाढ़ भी दुखदायी
सीमाओं पर सभी पडोसी देश ,मचा आतंक रहे
बंद रहे बाज़ार ,लोग कुछ ,बेकारी से तंग रहे
खस्ता हुई व्यवस्था ,मन में ,सबके उठती टीस रे
सबके मन में चाह,नया उत्साह, लाये इक्कीस रे  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
२०२० का साल

कितनो की बज गयी ढपलियाँ,नहीं रहा सुरताल
कितने ही बीमार हो गए ,कई हुए बदहाल
दुनिया को आतंकित करने ,चली चीन ने चाल
सबके मन में टीस दे गया ,बीस बीस का साल

कोरोना ने कहर मचाया ,पड़े कई बीमार
शहर शहर तालाबंदी थी ,बन्द हुआ व्यापार
लोगों ने दूरियां बनाली ,मुंह पर पट्टी डाल
सबके मन में टीस दे गया ,बीस बीस का साल

बंद फैक्टरी ,कामकाज सब ,लोग हुए बेकार
किया गाँव की ओर पलायन ,होकर के लाचार
मीलों पैदल चले बिचारे ,परेशान ,बदहाल
सबके मन में टीस  दे गया ,बीस बीस का साल

बंद होगये मंदिर ,मस्जिद ,सभी धर्म स्थान  
कोरोना डर ,गर्भगृहों में, छुप बैठे भगवान
अस्तव्यस्त सब ,चली वक़्त ने ऐसी उलटीचाल
सबके मन में टीस दे गया ,बीसबीस का साल

अब आया इक्कीस करेगा,हम सबका उपचार
आशा है सबको 'किस 'देकर ,फैलाएगा प्यार
यही प्रार्थना है ईश्वर से ,सभी रहे खुशहाल
सबके मन में टीस दे गया ,बीसबीस का साल

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

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