ऊंची दूकान -फीके पकवान
हे उच्चवर्ग के निम्न स्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
तुम्हारी मरी हुई गैरत ,
तुम्हे पुकार रही है
किसी की चमचागिरी से ,
अगर थोड़ा सा लाभ जो मिल जाए
तो अपना जमीर ही बेच दे
क्या आदमी इतना गिर जाए
तुम्हारे इस तरह के व्यवहार से ,
होती है हमें शर्मिंदगी
क्या इस तरह से ही तलवे चाट कर ,
जी जाती है जिंदगी
क्या मज़ा आता है तुम्हे ,
इधर की उधर लगाने में
क्या सुख मिलता है तुम्हे ,
एक दूसरे को लड़ाने में
तुम बड़े भोले बनते हो ,
पर लोग तुम्हे जान गए है
शेखी बघारना छोड़ दो ,
सब तुम्हे पहचान गए है
तुम्हारी दिखती तो ऊंची दूकान है
पर पकवान बड़े फीके है
अपना मतलब निकालने के लिए ,
तुम्हारे बड़े घटिया तरीके है
अपनी करतूतों से बाज आओ ,
जो करती तुम्हे शर्मसार रही है
हे उच्चवर्ग के निम्नस्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हे उच्चवर्ग के निम्न स्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
तुम्हारी मरी हुई गैरत ,
तुम्हे पुकार रही है
किसी की चमचागिरी से ,
अगर थोड़ा सा लाभ जो मिल जाए
तो अपना जमीर ही बेच दे
क्या आदमी इतना गिर जाए
तुम्हारे इस तरह के व्यवहार से ,
होती है हमें शर्मिंदगी
क्या इस तरह से ही तलवे चाट कर ,
जी जाती है जिंदगी
क्या मज़ा आता है तुम्हे ,
इधर की उधर लगाने में
क्या सुख मिलता है तुम्हे ,
एक दूसरे को लड़ाने में
तुम बड़े भोले बनते हो ,
पर लोग तुम्हे जान गए है
शेखी बघारना छोड़ दो ,
सब तुम्हे पहचान गए है
तुम्हारी दिखती तो ऊंची दूकान है
पर पकवान बड़े फीके है
अपना मतलब निकालने के लिए ,
तुम्हारे बड़े घटिया तरीके है
अपनी करतूतों से बाज आओ ,
जो करती तुम्हे शर्मसार रही है
हे उच्चवर्ग के निम्नस्तरीय लोगों ,
तुम्हारी हरकतें तुम्हे धिक्कार रही है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '