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शनिवार, 6 जून 2020

जीने की राह -पांच छक्के

अपने सभी वरिष्ठ का ,करता मैं सन्मान
जिनके आशीर्वाद से ,मैंने  पाया  ज्ञान
मैंने पाया ज्ञान ,गर्व से नहीं फूलता
कोई का अहसान कभी मै नहीं भूलता
'घोटू 'सब शुभचिंतक ,प्रेमी और मित्रगण
का कृतज्ञ मैं ,जिनसे मिल कर संवरा जीवन

चले महाजन जिस डगर,उनके चरण निशान
पर  चल  मैं आगे बढ़ा , तो  पाया  उत्थान
तो पाया उत्थान ,वही पथ ,प्रगति पथ था
उनका हर एक वचन ,ज्ञानमय और प्रेरक था
कह घोटू  थोड़ा भी ज्ञान जहाँ से पाओ
छोटा बड़ा न देख ,उसे तुम गुरु बनाओ

कभी मुसीबत के समय ,जिनने देकर साथ
गिरने से था बचाया ,पकड़ तुम्हारा हाथ
पकड़ तुम्हारा हाथ ,तुम्हे ढाढ़स बंधवाया
एसों का अहसान कभी ना जाय भुलाया
कह घोटू कवि सच्चे दोस्त वो ही कहलाते
एक दूजे के काम ,मुसीबत में जो आते

करो दोस्ती किसी से ,तो निभाओ भरपूर
उंच नीच का मत रखो ,मन में कोई गरूर
मन में कोई गरूर ,कभी ऊंचा पद पाके
अपने मित्रों को मत भूलो ,तुम इतरा के
कृष्ण द्वारकाधीश ,दीन था मित्र सुदामा
धोये उसके चरण ,बात ये भूल न जाना

रोज सुबह सूरज उगे ,लिये  ओज ,उत्साह
करू प्रकाशित जगत को ,मन में ये ही चाह
मन में ये ही  चाह ,प्रखर रहता है दिन भर
और जब होती शाम ,अस्त हो जाता थक कर
सुबह भरा है जोश ,इसलिए आभा स्वर्णिम
कार्य पूर्ण ,संतोष ,शाम को आभा स्वर्णिम

मदन मोहन बाहेती'घोटू ' 
देश की दशा -तीन छक्के

केरल से कश्मीर तक ,परेशान  है देश
दिन दिन बढ़ते जा रहे ,कोरोना के केस
कोरोना के केस ,चीन आँखें दिखलाता
आतंकी हरकत से पाक ,बाज ना आता
बार बार भूकम्प आ रहे , जाते है धमका
तूफानों ने बदला है मिज़ाज़ मौसम का

अर्थव्यवस्था देश की ,काफी खस्ता हाल
नहीं सुधरती आ रही ,हमे नज़र फिलहाल
हमे नज़र फिलहाल ,खुल रही तालाबंदी
खुलने लगे बाजार ,मगर छाई  है मंदी
पृथ्वी की ग्रह दशा और दिन लगते बिगड़े
एक माह में ,तीन तीन जब ग्रहण है पड़े

धीरे धीरे हो रहा ,लॉक डाउन ,अनलॉक
पर दिल्ली ने कर रखे ,अपने रस्ते ब्लॉक
अपने रस्ते ब्लॉक ,आदमी परेशान है
राजनीति की चला रहे नेता दूकान है
बीच बीच पप्पूजी भी  टी वी पर आते
हम भी है मौजूद ,जगत को ये दिखलाते

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
 

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Gerry Grothe  












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शुक्रवार, 5 जून 2020

फिल्म -तीसरी कसम
गीत -पिंजरे वाली मुनिया
       पेरांडी

दुनिया को सारी नचाय  दियो री ,चाइना की कोरनवा

उड़ उड़ बैठी तो इटली ये पहुंची ,
पिज़ा को इडली बने दियो री ,चाइना की कोरनवा

उड़ उड़ बैठी जो पेरिस नगरिया ,
आइफ़िल को टावर हिलाय दियो री ,चाइना की कोरनवा

उड़ उड़ बैठी जो पहुंची अमेरिका ,
ट्रम्प के छक्के छुड़ाई दियो री ,चाइना की कोरनवा

उड़ उड़ बैठी जो भारत में पहुंची ,
दो महीने घर में बिठाय दियो री ,चाइना की कोरनवा

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
आ अब लौट चलें

पहले शहर छोड़ आये थे
कोरोना   से  घबराये  थे
काम और धंधे बंद पड़े थे
हम घर पर बेकार पड़े थे
ना कमाई ,कैसे खायेंगे
गाँव जायेंगे ,बच जाएंगे
सबके मन में यही हुड़क थी
देखादेखी गयी  भड़क थी
रेल ,बसें कोई न रहे चल
निकल पड़े हम घर को पैदल
रास्ते मे तकलीफें भोगी
पड़े बीमार ,हुए कुछ रोगी
रो रो काटा ,कठिन सफर को
जैसे तैसे पहुंचे घर को
सुखी हुआ मन सबसे मिलके
थोड़े दिन खुश होकर हुलसे
पर गाँवों में काम नहीं था
जीवन भी आसान नहीं था
कमा भेजते थे हम पैसे
घर चलता था जैसे तैसे
हम पहुंचे तो फरक पड़ गया
घर का खर्चा और बढ़ गया
और कमाई ना कोड़ी भर की
जिम्मेदारी सर पर, घर की
मन में उठी समस्या भीषण
यूं कैसे काटेंगे जीवन
उधर शहर की तालाबंदी
पर भी उठने लगी पाबंदी
खुली फैक्टरी और दुकाने
लोग पुराने ,लगे बुलाने
वहां जीवन आया पटरी पर
कोरोना का सभी जगह डर
ये जल्दी ना जानेवाला
करना इसके साथ गुजारा
सावधानियां रखनी होगी
तब कोई ना होगा रोगी
शहरों में इसका इलाज है
जो गाँवों में नहीं आज है
अच्छा होगा ,नहीं डरे  हम
शहर जाएँ ,ना देर करें हम
गाँवों में है नहीं गुजारा
जाना होगा शहर  दोबारा
मेहनत करें ,कमाए ,खाये
फिर से रोजी रोटी पायें
गाँवों में कुछ रोज भले हम
आओ फिर से लौट चले हम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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