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सोमवार, 9 अप्रैल 2018

न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता है 

कभी जिंदगी में ,जुड़ा तुमसे होना ,
न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता  है 

पलकों पे तुमको बिठाये रखा है 
मंदिर में दिल के सजाये रखा  है 
फूलों से नाजुक ,तुम्हारे बदन को ,
 कलेजे  से अपने ,लगाये  रखा है 
खुशबू से इसकी ,कभी दूर होना ,
न हम चाहतें है ,न दिल चाहता है 

भले दो जिसम पर,एक जान है हम 
एक दूसरे की तो ,पहचान है हम  
संग संग जियेंगे, संग संग  मरेंगे ,
सदा एक दूजे पर ,कुरबान है हम 
हमारी वफ़ा में ,कभी कुछ जफ़ा हो,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है 

तुम्हारी मोहब्बत मेरी जिंदगी है 
तुम्हारी इबादत , मेरी बंदगी  है 
तुम लेती हो साँसें ,धड़कता मेरा दिल ,
इतनी दीवानी ,मेरी आशिक़ी है 
कभी जिंदगी में ,खफा तुमसे होना ,
न हम चाहतें है न दिल चाहता है  

कभी जिंदगी में ,तुम्हे गम न आये 
तुम्हे दर्द हो ऐसा मौसम न आये 
हमेशा बसंती ,फ़िज़ा खुशनुमा हो 
फूलों सा चेहरा सदा मुस्कराये 
कभी भी तुम्हारी ,खुशियों को खोना,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
एक बातचीत जो जोधपुर सेन्ट्रल जेल में सुनी गयी 

तुम दो दिन आये ,छूट गये ,हम पांच साल से सड़ते है 
तूमने  भी लड़ा मुकदमा था ,और हम भी मुकदमा लड़ते है 
तुम्हारे कई प्रसंशक है,और भक्त हमारे  भी अगणित ,,
तुम अभिनता करते अभिनय ,हम साधू ,प्रवचन पढ़ते है 
तुम भी तो लगाते हो ठुमके ,और हम बी लगाते ठुमके है ,
तुम जाते छूट ,हमारे पर,सारे  ही  काम  बिगड़ते है 
तुम एक्शन हीरो रोमांटिक,हीरोइन के संग  इश्क करो ,
हम भक्तिन संग रोमांस करें ,सबकी आँखें क्यों गड़ते है 
तुम हो 'बीइंग हयूमन 'वाले ,हम 'लविंग वूमन 'के मतवाले ,
 कान्हा बन गोपी प्रेम करें ,सब दोष हमी पर मढ़ते है 
तुम भाई हो, हम बापू है ,तुम जवां ,हो गये हम बूढ़े,
पर बूढ़े बंदर भी तो ,पेड़ों की शाखाओं पर  चढ़ते   है 
एड़ी चोटी का जोर लगा ,हम आशाराम  निराश हुए ,
सलमान खान ,दो हमें ज्ञान ,हम पैर तुम्हारे पड़ते है 

घोटू 

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

प्यार 

गाने में गले का योगदान होता है ,
संगीत और स्वरवाली कोई बात होती है 
कविता में कलम और मन के जज्बातों की ,
एक कोरे कागज़ पर ,मुलाक़ात होती है 
खाने में लज्जत और स्वाद अगर आता तो ,
पकानेवाले हाथों की ,करामात होती है 
अकेले अकेले से प्यार नहीं हो सकता ,
प्यार तभी होता जब ,प्रिय साथ होती है 

घोटू 
अपना पराया 

ये मत पूछो कौन पराया ,कौन सगा है 
जब भी जिसने मौका पाया ,मुझे ठगा है 
सबसे ज्यादा दर्द दिया मुझको अपनों ने
 और सांत्वना दे सहलाया ,अन्य जनो ने 
अपना जिनको समझा था ,उनने दिल तोडा 
और जब उनकी जरूरत आयी,दामन छोड़ा 
सबसे मिल जुल रहो भले अपने या पराये 
क्या मालूम ,कौन कब किसके काम आ जाये 

घोटू  
प्यार करो तो कुछ ऐसा तुम 

प्यार करो तो मधुमख्खी सा ,रास भी चूसे,शहद बनाये ,
किन्तु पुष्प की सुंदरता और खुशबू में कुछ फर्क न आये 
प्यार करो तो भ्रमरों जैसा ,फूल ,कली पर जो मंडराये ,
उनसे खुले आम उल्फत कर ,कलियाँ पाकीज़ा कहलाये 
प्यार करो तो बंसुरी जैसा ,पोली और छिद्रमय  काया ,
पर ओठों पर लग तुम्हारे ,साँसों को स्वर दे मनभावन 
प्यार करो तो माँ के जैसा ,दुग्ध पिला छाती से सींचे ,
जो बच्चों पर प्यार लुटाये ,स्वार्थहीन ,निश्छल और पावन 
प्यार करो तो माटी जैसा ,जिसमे एक बीज यदि रोंपो ,
उसे कोख में अपनी पाले ,तुम्हे शतगुणा वापस करदे 
प्यार करो तो तरुवर जैसा ,जिस पर यदि पत्थर भी फेंको ,
अपने प्यारे मधुर फलों से ,जो तुम्हारी झोली भर दे 
प्यार करो दीये बाती सा ,जब तक तैल ,तब तलक जलती,
तेल ख़तम तो बुझती बाती ,किस्सा संग संग जलने का है  
लैला और मजनू के किस्से ,शीरी और फरहाद की बातें ,
नहीं प्यार की कोई दास्ताँ ,किस्सा मिलन बिछड़ने का है
सच्चा प्यार नदी का होता ,जो कल कल कर दौड़ी जाती ,
मिलने निज प्रियतम सागर से ,जिसका नीर बहुत है खारा 
प्रेम दिवस पर एक गुलाब का ,पुष्प प्रिया को पकड़ा देना ,
यह तो कोई प्यार नहीं है ,यह तो है बस ढोंग  तुम्हारा 

मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 


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