न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता है
कभी जिंदगी में ,जुड़ा तुमसे होना ,
न मैं चाहता हूँ ,न दिल चाहता है
पलकों पे तुमको बिठाये रखा है
मंदिर में दिल के सजाये रखा है
फूलों से नाजुक ,तुम्हारे बदन को ,
कलेजे से अपने ,लगाये रखा है
खुशबू से इसकी ,कभी दूर होना ,
न हम चाहतें है ,न दिल चाहता है
भले दो जिसम पर,एक जान है हम
एक दूसरे की तो ,पहचान है हम
संग संग जियेंगे, संग संग मरेंगे ,
सदा एक दूजे पर ,कुरबान है हम
हमारी वफ़ा में ,कभी कुछ जफ़ा हो,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है
तुम्हारी मोहब्बत मेरी जिंदगी है
तुम्हारी इबादत , मेरी बंदगी है
तुम लेती हो साँसें ,धड़कता मेरा दिल ,
इतनी दीवानी ,मेरी आशिक़ी है
कभी जिंदगी में ,खफा तुमसे होना ,
न हम चाहतें है न दिल चाहता है
कभी जिंदगी में ,तुम्हे गम न आये
तुम्हे दर्द हो ऐसा मौसम न आये
हमेशा बसंती ,फ़िज़ा खुशनुमा हो
फूलों सा चेहरा सदा मुस्कराये
कभी भी तुम्हारी ,खुशियों को खोना,
न हम चाहते है ,न दिल चाहता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '