हम तुम और बीमारी
बीमार तुम भी, बीमार हम भी
बचा ना हम मे ,कोई दम खम भी
चरमरा करके चलती जीवन की गाड़ी
कभी तुम अगाड़ी, कभी हम अगाड़ी
बुढ़ापे का होता, यही आलम जी
लाचार तुम भी, लाचार हम भी
न कुछ तुमसे होता, न कुछ हमसे होता
जैसे तैसे भी करके समझौता
कभी मन में खुशियां ,तो कभी गम भी
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी
कई चिंताओ व्याधियों ने है घेरा
सहारा मैं तेरा ,सहारा तू मेरा
डगमगाते चलते, हमारे कदम भी
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी
संग संग हम हैं सुखी है इसी से
बचा है जो जीवन काटें खुशी से
करो प्यार तुम भी , करें प्यार हम भी
बीमार तुम भी ,बीमार हम भी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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