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रविवार, 15 मई 2016

ऐसा लगता जैसे ....

ऐसा लगता  जैसे .... 


ऐसा लगता  जैसे बातें हो कल की

तुम आई थी ,पहन गुलाबी सा जोड़ा
शर्मीली सी,सकुचाती  , थोड़ा ,थोड़ा
मैंने भाव विभोर उठाया था घूंघट  ,
भूले नहीं भुलाती यादें  उस  पल की
ऐसा लगता  जैसे बातें हो  कल की
मिले नयन से नयन ,हमारा हुआ मिलन
धीरे धीरे लगा महकने ये गुलशन
फूल खिले दो ,प्यारे प्यारे सुंदर से,
विकसे ,पाकर छाँव  तुम्हारे आंचल की
ऐसा लगता  ,जैसे बातें हो कल की
पाला पोसा ,पढ़ा लिखा क्र बड़ा किया
उन दोनों को अपने पैरों खड़ा किया
बिदा किया बेटी को पीले हाथ किये ,
बेटे को भी बहू मिल गई  सुन्दर सी
ऐसा लगता  ,जैसे बातें  हो कल की 
बेटा प्रगतिशील,बहू थी आधुनिका
सोच हमारी में पीढ़ी का अंतर  था
करी तरक्की ,बेटा  बहू ,विदेश बसे,
तनहाई में ,आँख हमारी थी छलकी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
सबने अपनी दुनिया अलग बसाई है
अब हम दो है और साथ  तनहाई  है
हम एकाकी ,बचे खुचे दिन काट रहे ,
फिर भी ,आँखें ,आस लगाये ,पागल सी
ऐसा लगता ,जैसे बातें हो कल की
बुझी बुझी सी आँखे , सूना सा आंगन
रह रह कर चुभता  हमको एकाकीपन
इसीलिए क्या यौवन था कुरबान किया ,
सपने में भी ,न थी कल्पना इस पल की
एसा लगता ,जैसे बातें हो कल की

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
 

मेरा क्या है?

           मेरा क्या है?

मैंने जो भी किया ,तुम्हारे लिए किया है
मै  तो,ऐसे ही जी लेता  ,मेरा  क्या है
मैं था फक्कड़ जीव,ठौर ना ,कोई ठिकाना
ऐसा हुआ प्यार में पागल ,मैं  दीवाना
इतनी  मन  को भायी ,तुम्हारी सूरत प्यारी
फाकामस्ती छोड़ ,ओढ ली  जिम्मेदारी
लाया जब से तुम्हे ,प्यार का बांधे बंधन
किया समर्पित,मैंने तुम पर निज तन मन धन
अगर सुखी हो  तुम ,तो सुख  पाउँगा मैं भी
तुम जो मुस्काओगी ,तो मुस्काउंगा मैं भी
सिमट गयी  बस तुम में ही मेरी  दुनिया है
मैं  तो ऐसे ही जी लेता  ,मेरा क्या  है
ना ऊधो का लेना ना माधो देना
जी लेता मै ,यूं चबाकर ,चना ,चबैना
तुम फूलों सी नाजुक,प्यारी  राजकुमारी
इसीलिये मैं ,हाजिर सेवा  में तुम्हारी
हरदम पलक पालकी में ,मैं रखता तुमको
पल भर भी ,पीड़ा ना होने दूंगा तुमको
सुख के साधन ,सभी जुटाए ,तुम्हारे हित
ये नवरस ,पकवान,तुम्ही को सभी समर्पित
मेरा छोटा सा दिल ,आज बना दरिया है
मै तो ऐसे ही जी लेता ,मेरा क्या है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अंतर

  अंतर

मुझमे और बाबा रामदेव में ,
बस इतना सा अंतर  है ,
कि मैं पहले बिज़नेस करता था ,
 और अब योग करता हूँ
और बाबा रामदेव ,पहले योग करते थे ,
अब बिज़नेस करते है
मुझमें और नरेंदरमोदी में ,
बस इतना सा ही अंतर है ,
कि पहले वो देशवासियों को चाय पिलाते थे ,
अब देश को चलाते  है
और मैं पहले बीबी को चलाता था ,
अब बीबी को चाय पिलाता हूँ

घोटू

शुक्रवार, 13 मई 2016

कल बीबी बिमार पड़ गयी

कल बीबी बिमार   पड़ गयी

पल पल चिंता,पग पग मुश्किल,
परेशानियां खूब बढ़ गयी
कल बीबी बिमार पड़ गयी
उलट पुलट हो गयी जिंदगी ,अस्त व्यस्त घरबार हो गया
घर का जमा जमाया सिस्टम,एक दिन में बेकार हो गया
क्या  खाना है,क्या पीना है ,कहाँ ,किधर है कपड़े ,लत्ते
दूध  मंगाना ,चाय  बनाना ,सभी  पड़ गया ,मेरे  मथ्थे
उस पर दूना हुआ सितम  ये ,महरी भी छुट्टी कर बैठी
 ये कर लो तुम,ऐसे कर लो ,रही बताती ,लेटी  लेटी
उसमे हिम्मत ,नहीं जरा थी ,इतनी थी ,कमजोरी आई
किन्तु बीच में ,उठ उठ उसने ,कई समस्याएं सुलझाई
सारे काम किया करती थी ,दौड़ दौड़ कर ,जो हंस हंस कर
उसका सारा ही दिन बीता ,सोते सोते, टसक टसक कर  
एक दिवस में ,उसका खिलता , फूलों सा चेहरा मुरझाया
 रौनक सारी ,खतम हो गई,और  घर में सूनापन  छाया
एक दिवस में ,पता लग गयी,बीबीजी की हमें अहमियत
उन्हें दवा  दी,ज्यूस पिलाया ,जल्दी से हो, ठीक तबियत
हुई बीमार सी ,मेरी हालत,  जिम्मेदारी बहुत बढ़ गयी
कल  बीबी बिमार पड़ गयी 

'घोटू'

मंगलवार, 10 मई 2016

ज़ीरो फिगर

 ज़ीरो फिगर

दुबला पतला सा बदन,तन पर चढ़ा न मांस
 मज़ा कहाँ से आयेगा ,करने  में   रोमांस
करने में रोमांस  ,कमरिया खाती हो बल
बड़े शान से दिखलाते  है  ज़ीरो  फिगर
जीरो होता गोल ,बदन मोटा ,मदमाता
बदन सींक सा,पर क्यों ज़ीरो फिगर कहाता

घोटू

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