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सोमवार, 14 दिसंबर 2015

मन हुँकार बैठा है

उस आईने में खुद को देख रहा है कोई,
वो सज संवर के होने शिकार बैठा है ।

इस माहौल से हैं वाकिफ तुम और हम भी,
इस उजड़े हुए बाग में ढूँढने बहार बैठा है ।

फिर कोई आके सहला रहा है दिल को,
दे देने को फिर गम कोई तैयार बैठा है ।

ये प्यार करने वाले, अब फिर दिख रहे,
वो लूटने को फिर दिल-ए-करार बैठा है ।

जो जिंदा है वो बस, सो रहा है बेखबर,
जो कत्ल हो चुका वो यूँ  पुकार बैठा है ।

चुन लिए हैं हमने कुछ दोस्त ऐसे ऐसे,
जो पास मैं बुलाऊँ वो फरार बैठा है ।

अब मौत की खबर भी वो गा कर सुनाता,
लेने को भी अर्थी, देखो कहार बैठा है ।

है आस रखो जिसपे वो सपने ही दिखाता,
हर सपने तेरे लेकर वो डकार बैठा है ।

अपना जिसे समझो वो हो गया पराया,
गैर कोई आके किस्मत सँवार बैठा है ।

काम का समझकर, आगे किया जिसको,
विश्वास को लुटाकर वो बेकार बैठा है ।

हर आग को बुझाना, अंधकार को मिटाना,
अलख फिर जगाने, मन हुँकार बैठा है ।

-प्रदीप कुमार साहनी

रविवार, 13 दिसंबर 2015

लूटो भी,लुट कर भी देखो

       लूटो भी,लुट कर भी देखो

कुछ दुनियादारी ने लूटा ,
           कुछ झूंठे सपनो ने लूटा
तुमने जिन पर प्यार लुटाया,
          तुमको उन अपनों ने लूटा
मीठी मीठी बात बना कर,
           लूटे हमे  जमाना   सगला
फिर भी ख़ुशी ख़ुशी लुटते  है,
          लोग समझते हमको पगला
अरे लूटता तो वो ही है,
          जिसके पास न कुछ होता है
और लुटता है वो ही जिसका ,
           कि  भण्डार  भरा होता  है
कभी किसी से प्यार करो तुम,
          कभी किसी पर लुट कर देखो
लुटने  की अपनी मस्ती  है,
           कभी किसी पर मर मिट देखो
लुटने में आनंद बहुत है
            कभी समर्पित हो क र देखो
मन में सच्चे भाव लिए तुम,
          अपना सब कुछ खोकर देखो
तुम जो कुछ खोवोगे उसका,
             तुम्हे कई गुणा  मिल जाएगा
मन की उलझन सुलझ जाएगी ,
           पुष्प प्यार का  खिल जाएगा
अगर लूटना है तो लूटो,
              राम नाम की लूट मची है 
लूटो नाम और यश लूटो,
               थोड़ी सी तो उमर बची है
लुटने और लूटने में बस ,
                एक मात्रा  का है अन्तर
अगर लुटोगे   सच्चे मन से ,
             सुख लूटोगे तुम जीवन भर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
             
                       
               
        
    
          
       

व्यवहार

             व्यवहार
कितनी ही मंहगी चमकीली,
फ्रेम  भले ही हो ,चश्मे की ,
लेकिन लेंस जब सही होते ,
तब ही साफ़ नज़र  आता है
सजधज कर कोई कितनी भी,
दिखने लग जाती हो सुन्दर ,
पर दिल कैसा ,यह तो  उसका ,
बस व्यवहार  बता पाता  है

          व्यवस्थाएं

अलग अलग लोगों की ,
अलग अलग जिद और व्यवहार
देता है समाज की ,
व्यवस्थाओं को आकार

घोटू

शनिवार, 5 दिसंबर 2015

दीवाना दीवान

        दीवाना  दीवान

जो भी आता ,मुझमे बैठ पसर जाता है
मारता गप्पे है ,मस्ती से पीता , खाता है
कोई जल्दी में रहता है ,कोई फुरसत  से
मगर मैं ,इन्तजार ,करता जिसका शिद्द्त से
वो हंसीं ,मखमली ,कोमल गुलाबी जिस्म लिए
लबों में शरबती मिठास और तिलस्म  लिए
जिसके अहसास से मुझमे गरूर आ जाए
समा के अपने  में ,मुझमे  सरूर  आ जाए
जी ये करता है उसकी खुशबू बसा लूँ  खुद में
   जिसके स्पर्श से ही  हुआ करता , बेसुध मैं       
 जिसकी तहजीब ,जिसकी खिलखिलाती प्यारी हँसी     
,जिसकी चूड़ी की खनक ,देर तलक ,दिलमे बसी
जिसको गोदी में लिए ,बावरा मैं ,पागल सा
 मज़ा जीवन का उठाता हूँ पूरा, पल पल का
इतना खो जाता ,भीनी खुशबू वाले बालों में
डूब जाता हूँ ,इस कदर में उसके ख्यालों में
वो कब आई,कब गयी ,पता नहीं चलता
फिर वो ही सूनापन ,विरहा की अगन में जलता
हमेशा ,बाहें ,मैं अपनी पसार बैठा हूँ
कर रहा ,उनका ही बस इन्तजार,बैठा हूँ
अपना ये जिस्मोजिगरबस उन्ही को सौंपा हूँ
उनका दीवाना हूँ, दीवान हूँ, मैं  सोफ़ा   हूँ
आपके घर की ,सबसे शानदार ,रौनक हूँ
हुकुम मे आपके ,हाज़िर ,गुलाम , सेवक हूँ

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

टेस्ट ही टेस्ट

       टेस्ट ही टेस्ट

इधर टेस्ट है,उधर टेस्ट है
जिधर देखिये,उधर  टेस्ट है
कहीं 'मिसाइल'टेस्ट हो रहा
और कहीं ' प्रोटेस्ट 'हो रहा
'एड्मिशन' मे  टेस्ट चल रहा
क्रिकेट में टेस्ट मैच  चल रहा
पग पग पर 'कॉन्टेस्ट' हो रहे
कितने  पैसे ' वेस्ट ' हो रहे
हो बीमार ,डॉक्टर  को जाते
वो भी कितने टेस्ट कराते
मुझे डॉक्टरों से शिकवा है
जब भी देते  कोई दवा  है
'यूरिन 'खून ,टेस्ट  करवाते
तब ही कोई दवा लिख पाते
ये ना कहता कोई डॉक्टर
टेस्ट कराओ रबड़ी  मिस्टर
टेस्ट करो  गाजर का हलवा
रसगुल्लों के साथ लो दवा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'


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