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रविवार, 13 सितंबर 2015

बर्बाद फसल

           बर्बाद फसल

एक राजनेता का उदयीमान युवराज
चुनाव में शिकस्त मिलने से था नाराज
कुछ दिन उसने लिया अज्ञातवास
और फिर से करने लगा प्रयास
जनता में अपनी पैठ बनाने को
इसलिए ,जब भी कहीं कोई हादसा होता ,
पहुँच जाता था अपनी सहानुभूती दिखलाने को
एक बार ,मौसम की बेरुखी से ,
किसी गाँव की फसल हो गयी बरबाद
वो झट से पहुँच गया ,सहानुभूति दिखलाने ,
अपनी अम्मा के साथ
और करने लगा किसानो से संवाद
कृषि के बारे में देख कर उसका अल्पज्ञान
हैरान हुए सब किसान
सोचने लगे क्या इसी के हाथों में,
सौंपी जानी थी देश की कमान
और फिर उन्होंने सचमुच सर पीट लिया
जब उसने उनको ये सुझाव दिया
कि आप इतनी मेहनत कर ,
खेतो में अनाज क्यों उपजाते है
जब हमारी सरकार थी तो हमने ,
सभी फ़ूड कार्पोरेशन के गोदामो में ,
इतना अनाज भर रखा था ,
आप वहीँ से अनाज क्यों नहीं ले आते है
 फिर भी ,मैं सरकार के आगे ,
आपका मुद्दा उठाऊंगा
और आपको आपकी बरबाद फसल का ,
मुआवजा दिलवाऊंगा
उसकी बातें सुन गाँव के लोगों ने ,
आपस में विचार विमर्श किया
और जिससे जितना हो सकता था ,
चंदा इकठ्ठा किया
और उसकी माताजी के हाथ में पकड़ा दिया
और उससे बोले कि,
 हम इससे ज्यादा कुछ न कर सके ,
यह हमारी विवशता है
हमारी फसल बरबाद हुई है ये तो  ठीक है ,
पर आपकी भी फसल बर्बाद हुई है ,इसलिए ,
आपका भी कुछ मुआवजा तो बनता है
और क्योंकि सरकार की नीतियों में ,
इस तरह की फसल की बर्बादी के लिए ,
मुआवजे का नहीं है कोई प्राविधान
इसलिए मुआवजे स्वरूप ,
कबूल कीजिये ,हमारा ये छोटा सा योगदान

घोटू

शनिवार, 12 सितंबर 2015

हरि लीला

       हरि  लीला

हरि व्याप्त जग के कण कण में ,
              बतलाओ हरि कहाँ नहीं है
पीड़ा हरे,शांति दे मन को ,
             बस समझो तुम हरि वही है
मन हो चंगा अगर ,कठौती ,
                में भी गंगा मिल जाती है  
हरियाली  में हरि बैठे है ,
                दर्शन कर ठंडक आती है
 सुबह सुनहरी धूप में हरी  ,
                 हरी  तेज है दोपहरी का
नज़र हरी की तुम पर हरदम,
                  हरी काम करते प्रहरी का
रूपहरी जो खिले  चांदनी ,
                   उसमे भी हरी का प्रकाश है
पीताम्बरी छवि है हरी की ,
                    आम दशहरी सा मिठास है
हरी बसते है ,गाँव गाँव में,
                      शहरी  के  भी संग  हरी  है
हरि  ऊँगली पर ,गोवर्धन सी,
                        ये सारी   जगती  ठहरी है
मुश्किल बहुत समझ पाना है,             
                        हरी की लीला ,अति गहरी है
हरी पहाड़ी,खेती,बगिया ,
                         जित देखो बस हरी हरी है
हरा भरा है उसका जीवन ,
                          जिसके मुख पर हरी नाम है
घर की देहरी ,पर हरी बसते ,
                           हर घर होता हरी धाम  है
     
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

बुधवार, 9 सितंबर 2015

मच्छर की दीवानगी

     मच्छर की दीवानगी

एक मच्छर मतवालो ,प्यार में दीवानो भयो,
ढूंढत रह्यो ,इहाँ उहाँ ,अपनी  मच्छरानी कूँ 
गुनन गुनन गीत गाय,गाँव गाँव ,गली गली ,
फिरत रह्यो,टेरत रह्यो ,प्रीतम  दीवानी  कूँ
सुन्दर सी नारी के ,गालन पर तिल देख्यो ,
चिपट गयो तिल पर जा,मच्छरानी जानी कूँ
अंधे के हाथन में ,जैसे की बटेर लगी,
ढूंढत रह्यो मच्छरानी ,पाय गयो रानी कूँ

घोटू

ग़ज़ल

       ग़ज़ल
यहाँ  कुछ  लोग  मच्छराना है
जिनकी आदत ही भिनभिनाना है
गाल पर बैठना है चुपके से ,
और हौले से काट जाना है
बजन हल्का है बात हलकी है,
रोग भारी मगर फैलाना  है
काम करते है अब अँधेरे में ,
रौशनी देख मुंह छिपाना है
 बात करते है आग शोलों की,
डर के धुँवें से भाग जाना है
चूसते रहते खून है सबका ,
शौक बतलाते आशिकाना है
कौन है,कितने है क्या बतलाएं,
आपने ,हमने ,सबने जाना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शनिवार, 5 सितंबर 2015

हे माखन के चोर तुम्हारा स्वागत है...


हे माखन के चोर तुम्हारा स्वागत है
हे राधा चितचोर तुम्हारा स्वागत है
आओ लाओ सतयुग त्रेता द्वापर तुम
ये कलियुग घनघोर तुम्हारा स्वागत है...

छेड़ो ऐसी बंसी की धुन जग झूमे
तुम बोलो जैसे वैसे ही जग घूमे
कर दो कुछ ऐसा कि प्रेम की पवन चले
हे मनमोहन आओ तुम्हारा स्वागत है...

फिर से मित्र सखाओं का तुम नारा दो
व्याप्त अनैतिकताओं को घाव करारा दो
दिखलाओ लीला ऐसी कि पाप मिटे
है लीलाधर आओ तुम्हारा स्वागत है...

दो गीता का ज्ञान सभी को नई तरह से
खोलो अंतर्मन के द्वार सभी के नई तरह से
काम क्रोध मद मोह सभी की अति रोको
हे योगिराज - हे कृष्ण तुम्हारा स्वागत है
हे 'सबसे चर्चित मित्र'तुम्हारा स्वागत है...

- विशाल चर्चित

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