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बुधवार, 24 दिसंबर 2014

ये बीबियाँ

                ये बीबियाँ

पति भले ही स्वयं को है सांड के जैसा समझता ,
      पत्नी आगे गऊ जैसी ,आती उसमे सादगी  है
 पति को किस तरह से वो डांट कर के  रखा करती ,
      आइये तुमको बताते ,उसकी थोड़ी  बानगी है
पायलट की पत्नी अपने पति से ये बोलती है,
       देखो ज्यादा मत उड़ो तुम,जमीं तुमको दिखा दूंगी
और पत्नी 'डेंटिस्ट' की ,कहती पति से चुप रहो तुम,
             वर्ना जितने दांत तुम्हारे,सभी मै हिला   दूंगी 
प्रोफ़ेसर की प्रिया अपने पति को यह पढ़ाती है,
            उमर  भर ना भूल पाओगे ,सबक वो सिखाउंगी
और बीबी एक्टर की ,रोब पति पर डालती है ,
            भूलोगे नाटक सभी जब एक्टिंग मै  दिखाउंगी
सी ए की पत्नी पति से कहती है कि माय डीयर,
           मेरे ही हिसाब से ,रहना तुम्हे है जिंदगी  भर  
वरना तुम्हारा सभी हिसाब ऐसा बिगाड़ूगीं ,
           कि सभी 'बेलेंस शीटें 'तुम्हारी हो जाए गड़बड़
पत्नी ने इंजीनियर की ,समझाया अपने पति को,
          टकराना मुझसे नहीं तुम,पेंच ढीले सब करूंगी
'इंटेरियर डिजाइनर 'की प्रियतमा  उससे ये बोली
         मुझसे जो पंगा लिया ,एक्सटीरियर बिगाड़ दूंगी
नृत्य निर्देशक कुशल है  हुआ करती हर एक बीबी,
         जो पति को उँगलियों के इशारों पर है  नचाती 
उड़ा करते है हवा में ,घर के बाहर जो पतिगण ,
         घर में अच्छे अच्छे पति की,भी हवा है खिसक जाती

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 
           

ना इधर के रहे ना उधर के रहे

       ना इधर के रहे ना उधर के रहे

उनने डाली नहीं ,घास हमको ज़रा ,
         चाह में जिनकी आहें हम भरते रहे
चाहते थे क़ि कैसे भी पट जाए वो,
          लाख कोशिश पटाने की करते रहे
उम्र यूं ही कटी ,वो मगर ना पटी ,
          घर की बीबी को 'निगलेक्ट 'करते रहे
ना घर के रहे हम,नहीं घाट  के ,
          ना इधर के रहे ,ना उधर के   रहे

घोटू  

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

सितम-सर्दियों का

           सितम-सर्दियों का
                पांच चित्र
                       १
हो गए हालात है कुछ इस तरह के धूप के ,
कभी दिखलाती है चेहरा ,कभी दिखलाती नहीं
बहाना ले सरदी का ज्यों  ,कामवाली  बाइयां ,
या तो आती देर से है या कि फिर आती नहीं
                            २
मुंह छिपाते फिर रहे हैं,आजकल सूरज मियां ,
सर्दियों  में देख लो, वो भी बेकाबू  हो  गए
आते भी है देर से और जाते है जल्दी चले ,
लगता है सरकारी दफ्तर के वो बाबू  हो गए
                      ३
एक तरफ आशिक़ है बिस्तर ,नहीं हमको छोड़ता ,
एक तरफ माशूक़ रजाई ,हम पर है छाई  हुई
आपको हम क्या बताएं आप खुद ही समझ लो ,
इस तरह शामत हमारी ,सरदी  में आयी हुई
                            ४
होता था दीदार जी भर ,जिस्म का जिनके सदा,
तरसते है देखने को भी हम सूरत आपकी
ढक  लिया है इस तरह से ,तुमने अपने आपको,
नज़र आती सिर्फ आँखे, नोक केवल नाक की
                           ५
तेल ,घी जमने लगे है ,दही पर जमता नहीं ,
मारे ठिठुरन,हाथ पाँव जम के ठन्डे पड़ गए
पीते पीते चाय का प्याला बरफ  सा हो गया ,
सर्दियों के सितम देखो ,किस कदर है बढ़ गए   

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

सर्दी -मौसम खानपान का

   सर्दी -मौसम खानपान का

हम सर्दी का मज़ा उठायें ,मौसम बड़ा सुहाना
बैठ धूप में अच्छा लगता,हमें मूंगफली खाना
गरम चाय की चुस्की लेना ,सबके मन को भाता
अगर साथ हो  गरम पकोड़े ,मज़ा चौगुना  आता
 कभी कभी मक्का की रोटी ,और सरसों का साग
तिल की पट्टी ,गज़क रेवड़ी ,इनका नहीं जबाब
गरम गरम रस भरी जलेबी और गुलाबजामुन
देख टपकती लार और मन होता अफ़लातून
खानपान का मौसम होता है मौसम सर्दी का
सोहन या बादाम का हलवा ,खाओ देशी घी का
कितना भी गरिष्ठ हो खाना ,सर्दी में सब पचता
आलू टिक्की की खुशबू से कोई नहीं बच सकता 
गरम पराठे मेथी के या मूली या कि मटर के
सर्दी में ही मिल पातें है ,क्यों न खाएं जी भर के
जिन्हे  फ़िकर अपने फ़ीगर की खाया करे सलाद
हम तो खाए गोंद  के लड्डू ,ले ले कर के स्वाद
प्रचुर विटामिन 'डी 'पाओगे और  निखरेगा  रूप    
मैं खाऊ गाजर का हलवा और तुम खाओ धूप

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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