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शनिवार, 1 नवंबर 2014

कम्बल

            कम्बल

मुश्किल से ही मिल पाता  है ,
            जो सुख हमको केवल,कुछ पल
उस सुख से लाभान्वित होते ,
                  रहते हो तुम,रात रात भर 
बड़े प्यार से छाये रहते
                  हो गौरी के तन के ऊपर
लोग तुम्हे कहते  है कम्बल ,
                   पर तुममे सबसे ज्यादा  बल

घोटू

पहली तारीख

             
                    
                   पहली तारीख
 
पहली तारीख की रही ना,पहली वाली बात अब,
          नगद नोटों में मिला करती थी हमको सेलरी
एक दिन तो समझते थे ,हम भी खुद को बादशाह,
            जब कि  नोटों से हमारी ,जेब रहती थी भरी 
करती थी बीबी प्रतीक्षा,बना अच्छा नाश्ता ,
            बच्चों की फरमाइशों का दौर आता था नया
जब से तनख्वाह बैंक में होने लगी है ट्रांसफर ,
            वो करारे नोट गिनने का का सुहाना थ्रिल गया

घोटू

गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014

रिश्ते ऊपर से बन आते है

      रिश्ते ऊपर से बन आते है

एक अनजान औरत ,
एक अनजान आदमी की,
बन जाती  है  सच्ची दोस्त और हमसफ़र
और उसके संग ,  जाता है बंध ,
एक इस तरह का बंधन ,
जिसे निभाया जाता है सारी उमर भर
ये नियति है या भाग्य का लेखा ,
जो एक अनजान,अनदेखा ,
दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारा  लगने लगता है
क्या ये बंधन वरमालाये पहनाने से,
या कुछ कसमे खाने से ,
या अग्नी के सात फेरे लगा लेने  से बनता है
एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण ,
अपना सब कुछ अर्पण
चंद रस्मो रिवाजों से ही नहीं होता है
हम ये जानते है
इसलिए ये बात नहीं मानते है ,
जब लोग कहते,शादी एक समझौता है
कोई कहीं का  रहनेवाला 
कोई कहीं की रहनेवाली पर,
अपना सब कुछ  ऐसे ही नहीं लुटाता  है
,इसलिए हम मानते है,
पति और पत्नी का रिश्ता
ऊपर वाले के यहाँ से ही बन कर आता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शादी या दीवाली

             शादी या दीवाली

लटकती बिल्डिंगों पर जगमगाती ,इस तरह लड़ियाँ ,
            सजाया जैसे हो चेहरा ,किसी दूल्हे के चेहरे पर
खिल रहे फूल अरमानो के जैसे फुलझड़ी ,झड़ती,
            फटाखे फूटते मन में ,मिलन के ख्वाब रहरह कर
दिये से टिमटिमाते है ,कई सपने निगाहों में ,
             घड़ी वो आएगी कब जब करेंगे  लक्ष्मी  पूजन ,
भले ही बात ये मालूम है हमको,उन्हें,सबको,
             दिवाली चार दिन की,बाद में फिर रोज का चक्कर

घोटू 

कार का पुराना मॉडल

        कार का पुराना मॉडल

हमारी कार का मॉडल,पुराना  हो गया है पर ,
          अभी बकरार इंजिन का ,वही जलवा पुराना है
अभी भी स्टीयरिंग में और गियर में जान है वो ही ,
          वही रफ़्तार है कायम ,सफर वो ही सुहाना  है
ये दीगर बात है कि शॉक अब्सोर्बर पड़े ढीले,
            और टायर भी थोड़े घिस गए है इतना चल चल के ,
समय के साथ थोड़ा रंग भी है पड गया फीका, 
            फसें हम  प्यार में उसके ,वही गाडी चलाना   है           

घोटू

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