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गुरुवार, 25 सितंबर 2014

सीताफल

सीताफल

बाहर से कितनी आँखे पर बंधे हुए हम ,
बहुमुखी प्रतिभा वाला है यक्तित्व हमारा
हरेक आँख का अपना गूदा ,अपनी गुठली ,
किन्तु साथ है,तब ही है अस्तित्व हमारा
भीतर से हम मीठे है ,स्वादिष्ट ,रसीले,
बाहर हरे भरे ,आकर्षक दिखलाते है
सीताजी जैसे नाजुक हम सीताफल है,
भरी शराफत,तभी शरीफा कहलाते है
सीताफल जैसा ही भारत देश हमारा ,
अलग अलग है धर्म,आस्था अलग अलग है
किन्तु साथ में बंधे हुए है ,इक दूजे से,
मीठे और शरीफ ,चाहता सारा जग है
घोटू

सीताफल     बाहर से कितनी आँखे पर बंधे हुए हम ,   बहुमुखी प्रतिभा वाला है यक्तित्व  हमारा   हरेक आँख का अपना गूदा ,अपनी गुठली ,  किन्तु साथ है,तब ही है अस्तित्व हमारा   भीतर से हम मीठे है ,स्वादिष्ट ,रसीले,  बाहर हरे भरे ,आकर्षक दिखलाते है   सीताजी जैसे नाजुक हम सीताफल है,  भरी शराफत,तभी शरीफा कहलाते है   सीताफल जैसा ही भारत देश हमारा ,  अलग अलग है धर्म,आस्था अलग अलग है   किन्तु साथ में बंधे हुए है ,इक दूजे से,  मीठे और शरीफ ,चाहता सारा   जग है   घोटू

मंगलवार, 23 सितंबर 2014

ऊधौ ,जाओ तुम्हे हम जाने

          घोटू के पद
  ऊधौ ,जाओ तुम्हे हम जाने

ऊधौ (उद्धव),जाओ तुम्हे हम जाने
कान्हा दूत ,बने आये थे,देने ज्ञान,हमें समझाने
अब मथुरा के सिंहासन के , लगे तुम्हे हैं,सपने आने
हठ के कारण,गति कंस की,तुमभी जानो,हम भी जाने
रोटी हित  जब ,लड़े बिल्लियाँ,बन्दर पाये ,रोटी खाने
आधी छोड़,धाये  पूरी को,मुश्किल हो आधी भी पाने
छब्बे बनने के चक्कर में,चौबेजी ,दुब्बे रह जाने
पुत्र प्रेम में ,गयी सोनिया,तुमहु लगे ,वो ही पथ जाने
सत्ता भूत उतार न पांयें ,कोई तांत्रिक और सयाने
'घोटू' समझदार, रहता है ,गठबंधन में ,बंधे पुराने

घोटू

सोमवार, 22 सितंबर 2014

वादा तो निभाया

           वादा तो निभाया

नेताजी ने वोट मांगे ,दे के सबको ये वचन ,
      बिजली की और पानी की वो व्यवस्था करवाएंगे
और जब  वो चुन के आये,उनने था वादा किया ,
        अपने हर एक काम मे वो,'ट्रांसपरेन्सी 'लाएंगे  
नेताजी तो बन मिनिस्टर ,लगे अपने काम में,
         वादे   बेटी  ने  निभाये , एक   नए अंदाज में
'ट्रांसपरेन्सी 'का था वादा उसके  पापा ने किया ,
          'ट्रांसपरेन्सी 'ले के आई ,अपने वो   लिबास में
इस कदर  के पारदर्शी वस्त्र थे धारण किये ,
         देख  कर उसका  खुलापन  ,गिरी सब पर बिजलियाँ
लोग मारे शर्म के सब ,पानी पानी हो गए,
            बिजली और पानी का  वादा ,इस तरह पूरा किया

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रविवार, 21 सितंबर 2014

मगर हम किस से कहें

      मगर हम किस से कहें

रोज वो हमको सताते ,मगर हम किस से कहें
छेड़तें है आते जाते   ,मगर हम  किस से  कहें
दिखा  कर के लुभाने वाली अदाएं रात दिन ,
छेड़तें है  मुस्कराते ,मगर हम किस से कहें
लहराते चुम्बन हवा में ,कभी करते गुदगुदी ,
हमारे दिल को जलाते,मगर हम किस से कहें
पङ गयी आदत हमें है उनके इस व्यवहार की,
 सहते है हम मुस्कराते  ,मगर हम किस से कहें 
क्या बनाया इश्क़ तूने,क्या बनाई औरतें,
जाल में हम फसे जाते ,मगर हम किस से कहें
चाहते हम उनको इतना ,बिना उनके एक पल ,
भी जुदा  हम रह न पाते,मगर हम किस से कहें
उनकी मीठीमीठी बातें,मन में है रस घोलती ,
हम भी झट से पिघल जाते ,मगर हम किस से कहें
सामने आँखों के आती,उनकी सूरत चुलबुली ,
ठीकसे हम सो न पाते ,मगर हम  किस से कहें

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

धीरज का फल

         धीरज का फल

हमने की ता उम्र कोशिश ,आप मुस्काते  रहें ,
         आपको खुश रखना होता ,कब भला आसान है
कुछ न कुछ तो नुस्ख लेते ढूंढ,गलती बताते ,
          हमेशा आलोचना करना तुम्हारा काम है
उमर के संग हम भी बदले और बदले आप भी ,
           मिल रहे सुर,एक दूजे का  बढ़ा सन्मान है
आप अब हमको सराहते ,करते है तारीफ़ भी,
          ये हमारी तपस्या और  धैर्य का   परिणाम है

घोटू  

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