एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

सीताफल

सीताफल

बाहर से कितनी आँखे पर बंधे हुए हम ,
बहुमुखी प्रतिभा वाला है यक्तित्व हमारा
हरेक आँख का अपना गूदा ,अपनी गुठली ,
किन्तु साथ है,तब ही है अस्तित्व हमारा
भीतर से हम मीठे है ,स्वादिष्ट ,रसीले,
बाहर हरे भरे ,आकर्षक दिखलाते है
सीताजी जैसे नाजुक हम सीताफल है,
भरी शराफत,तभी शरीफा कहलाते है
सीताफल जैसा ही भारत देश हमारा ,
अलग अलग है धर्म,आस्था अलग अलग है
किन्तु साथ में बंधे हुए है ,इक दूजे से,
मीठे और शरीफ ,चाहता सारा जग है
घोटू

सीताफल     बाहर से कितनी आँखे पर बंधे हुए हम ,   बहुमुखी प्रतिभा वाला है यक्तित्व  हमारा   हरेक आँख का अपना गूदा ,अपनी गुठली ,  किन्तु साथ है,तब ही है अस्तित्व हमारा   भीतर से हम मीठे है ,स्वादिष्ट ,रसीले,  बाहर हरे भरे ,आकर्षक दिखलाते है   सीताजी जैसे नाजुक हम सीताफल है,  भरी शराफत,तभी शरीफा कहलाते है   सीताफल जैसा ही भारत देश हमारा ,  अलग अलग है धर्म,आस्था अलग अलग है   किन्तु साथ में बंधे हुए है ,इक दूजे से,  मीठे और शरीफ ,चाहता सारा   जग है   घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-