एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

रविवार, 13 जुलाई 2014

नाम की कमाई

               नाम की कमाई

आदमी आम होता ख़ास है , जब उसके जीवन में,
ख़ास कुछ ऐसा हो जाता ,नहीं जो आम  होता है
ये इस पर है कि किसके संग,हुआ है कौनसा किस्सा ,
कोई का नाम होता है ,कोई बदनाम होता  है
अगर मिल जाते लैला और मजनू ,हीर और रांझा,
तो क्या उनकी महोब्बत के ,यूं अफ़साने लिखे जाते
बसा लेते वो अपना घर ,आठ दस बच्चे हो जाते ,
गृहस्थी को चलाने में ,वो भी मशगूल हो जाते
मगर उनकी जुदाई ने ,बनाया ख़ास है उनको,
नहीं तो वो भी  हम तुमसे ,आदमी आम ही रहते
नहीं कुर्बान होते जो ,इश्क़  में एक दूजे  के ,
हमारी और तुम्हारी ही तरह अनजान ही रहते
नहीं तो लोग कितने ही ,कमाते और खाते है,
है आते और चले जाते,कोई ना याद भी करता
कोई जो देता  कुर्बानी,या फिर कुछ ख़ास करता है,
ज़माना उसके चर्चे उसके ,जाने बाद भी करता

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

 

बरसात आई

         बरसात आई

आज बरसात आई है
मुद्द्तों बाद आयी है
मचलने लग गया है मन,
लिए जज्बात आयी है
हुआ मौसम बड़ा बेहतर
भीग कर जाएँ हम हो तर
 साथ बूंदों के हम नाचें,
मज़ा मौसम का लें जी भर
देख कर तेरा भीगा तन ,
रहूँ ना मैं भी आपे में
मज़ा मुझको जवानी का,
मिले फिर से बुढ़ापे में

घोटू

अगर- मगर

        अगर- मगर

जो तुम गर्मी की लू होती ,मैं कच्चा आम,पक गिरता,
         अगर होती जो तुम बारिश,भीगता तुममे रहता मैं  
अगर तुम होती जो सर्दी ,रजाई में दबा लेता ,
          अगर  बासंती ऋतू होती,तो फूलों सा महकता   मैं
अगर तुम आग होती तो ,मैं भुट्टे सा सिका करता,
            अगर होती हवा जो तुम,तुम्हारे साथ  बहता  मैं
अगर होती जो तुम पानी,तो तुममे डूब मैं जाता,
           तुम्हारा साथ पाने को ,सितम कितने ही सहता मैं
मगर तुम बन गयी बीबी ,और शौहर मैं बेचारा,
            तुम्हारे मूड के संग संग ,बदलते रहते है मौसम
तुम्हारी उँगलियों के इशारों पर ,नाचता मैं रहता ,
            बनी हो जब से तुम हमदम,निकाला तुमने मेरा दम

  मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Re: तीन चतुष्पद



On Thursday, July 10, 2014, madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com> wrote:
           तीन चतुष्पद
                    १
तुम्हारा रूप प्यारा है,अदाएं शोख और चंचल
तुम्हारी चाल मतवाली, कमर में पड़ने लगते बल
बुलाता,पास ना आती,हमेशा टालती ,कह ,कल
कलेजा चीर देती हो ,जब कहती हो हमें अंकल
                         २
हसीना को पटाने में ,पसीने छूट जाते  है
हसीना मान जाती तो पसीना हम बहाते है
प्यार के बाद शादी कर,बोझ बढ़ जाता है सर पर , 
गृहस्थी को चलाने में ,पसीने छूट जाते है
                            ३
मेरी तारीफ़ करते ,लक्ष्मी घर की बताते हो
कमा कर दूसरी फिर लक्ष्मी तुम घरपे लाते हो  
मेरी सौतन को जब मैं खर्च कर ,घर से भगाती हूँ,
मुझपे खर्चीली होने की,सदा तोहमत लगाते  हो

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

शनिवार, 12 जुलाई 2014

दीवानगी

      दीवानगी
दीवान ए आम हो चाहे ,
दीवान ए ख़ास हो  चाहे
दीवानो का दीवानापन तो खुल्ले आम होता है
दीवानो के लिए ना ,
कोई भी दीवार होती है,
दीवानो का  लिखा खत,प्यार का दीवान होता है
   बजाते   बांसुरी कान्हा ,
  दीवानी  गोपियाँ  आती ,
दीवानापन  ये ,उनके प्यार की पहचान  होता  है
दीवाना  होता  परवाना ,
शमा के प्यार में जलता ,
कोई मजनू ,कोई राँझा ,सदा  कुर्बान होता है

मदन मोहन  बाहेती 'घोटू' 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-