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रविवार, 22 सितंबर 2013

रितु चुनाव की आयी

         घोटू के पद
रितु  चुनाव की आयी

सखी री ,रितु चुनाव की आयी
मनमोहन ने ,दस वर्षों में ,दुर्गत बहुत बनाई
बेटे को मिल जाए सिंहासन ,चाहे सोनिया माई
बन मुंगेरीलाल ,देखते ,सपन ,मुलायम  भाई
बिल्ली बन ,छींका टूटन की ,आस नितीश लगाई
मौके पर ही ,वार करेंगे,कहे  पंवार  मुस्काई
नमो नमो नारायण की रट ,नारद रहे लगाई
पांच बरस में ऐसी लीला,'घोटू' पड़े  दिखाई
सखी री,रितु चुनाव की आई
 घोटू

किस मुंह माने वोट

   घोटू के पद

किस मुंह माने वोट

अब हम,किस मुंह मांगे वोट
पांच बरस तक,मौज उडाई,करके लूट खसोट
बहुत किये घोटाले हमने ,खूब कमाए नोट
बार बार मंहगाई बढ़ा  कर,करी चोंट पर चोंट
सारे वोटर जान गए है,हम में है कुछ  खोट
एक बार ,फिर से सत्ता में ,मुश्किल आना ,लौट
'घोटू'अब तो,नमो नारायण ,बिठा रहा है गोट
अब हम ,किस मुंह मांगे वोट
घोटू

हे भगवान -दे वरदान

       हे  भगवान -दे वरदान

हे मेरे प्रभू  ,
आजकल कितना बदल गया है तू
मै दिन रात ,
पूरी श्रद्धा और भक्ति  के साथ
तेरे पूजन में रहा लगा
रतजगों में पूरी रात जगा
पर आज महसूस कर रहा हूँ ठगा
क्योंकि शायद तूने आजकल,
छोड़ दिया है रखना भक्तों का ख़याल
इसीलिये ,मै  हूँ बदहाल
मुश्किलों से नसीब होते है रोटी दाल
फिर भी रोज तेरे मंदिर जाता हूँ
आपको दो मुट्ठी चांवल  चढ़ाता हूँ
राशन की दूकान से ख़रीदे सुदामा के चांवल
एक बार प्रेम से चबा लो प्रभुवर
और दीनदयाल,मुझे खुशहाल करदो
सुदामा की तरह निहाल करदो
हे प्रभू ,अपने इस परम भक्त का ,
थोड़ा सा तो ख्याल करो
कोई क्रीमी पोस्टिंग ही दिला कर ,
मुझे मालामाल करो
वरना मै आपके चरण पकड़ कर
बैठा ही रहूँगा यहीं पर
मै विनती कर ही रहा था कि ,
मुझे कुछ रोशनी का आभास हुआ
एक दिव्य प्रकाश हुआ
भगवान प्रकट हुए और बोले ,
अब ज्यादा मत खींच मेरी टांग  
बोल तुझे क्या चाहिये,मांग
मै बोला ,प्रभू ,मुझे न चांदी न सोना चाहिए
बस आपका आशीर्वाद होना चाहिए
मै हूँ निर्बल,असहाय
मुझे तो भगवन ,दिला दो एक गाय
मगर वो गाय हो कपिला
जिससे जो भी मांगो ,देती है दिला
जो भी मै चाहूंगा ,वो मुझे दे देगी
प्रभूजी ने टोका ,भक्त ,छोटा सा है तेरा घर
और वो भी सातवीं मंजिल पर ,
वहां गाय कैसे बंधेगी ?
मै बोला ,अच्छा प्रभू ,गाय नहीं ,
तो कल्पवृक्ष ही दिलवा दो ,
जिसके बारे में ये कहा जाता है
उसके नीचे बैठ कर जो भी मांगो,मिल जाता है
प्रभू बोले ,फिर वही पागलों सी बात ,
तेरे  समझ में कब आयेगा
सातवीं मंजिल के छोटे से फ्लेट में,
कल्पवृक्ष  कैसे समायेगा ?
मै बोला 'सॉरी ' प्रभू ,
मै गया था अपनी औकात भूल
और माँगता रहा यूं ही ऊल जलूल
मुझे तो आप एक छोटी सी वस्तु मात्र  दे दो
जो द्रोपदी को दिया था,वैसा अक्षय पात्र दे दो
उसमे जो भी पकेगा ,वो सदा भरा ही रहेगा
मेरे और मेरे आसपास के ,
गरीबों और भूखों का पेट भरेगा
और मेरे छोटे फ्लेट में आराम से रखा जाएगा
इसके पहले कि प्रभू कुछ कहते ,
पत्नी जी ने झिंझोड़ कर जगाया ,
और दूध  का पात्र देती हुई बोली,
सपने ही देखते रहोगे ,तो दूध कौन लाएगा ?

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

इक नई दुनिया बनाना है अभी

आज फिर से, एक नया सा, स्वप्न सजाना है अभी,
आज फिर से, इक नई दुनिया बनाना है अभी |

कह दिया है, जिंदगी से, राह न मेरा देखना,
खुद ही जाके, औरों पे, खुद को लुटाना है अभी |

साख पे, बैठे परिंदे, हिल रहे हैं खौफ से,
घोंसला उनका सजा कर, डर भागना है अभी |

लग गई है, आग अब, दुनिया में देखो हर तरफ,
बाँट कर, शीत प्रेम फिर से, वो बुझाना है अभी |

जा रहा है, वह मसीहा, रूठकर हम सब से ही,
रोक कर उसका पलायन, यूँ मनाना है अभी |

दिख रहे, सोये हुए से, जाने कितने कुम्भकरण,
पीट कर के, ढोल को, उनको जगाना है अभी |

देखती, माँ भारती, आँखों में लेके, अश्रु-सा,
सोख ले, उन अश्क को, कुछ कर दिखाना है अभी |

राह को हर, कर दे रौशन, रख दूं ऐसा "दीप" मैं,
आज फिर से, इक नई दुनिया बनाना है अभी |

भूल और भूलना

          भूल और भूलना

जन्म देकर तुम्हारा पोषण किया ,
और बनाया वक़्त के अनुकूल है
आज क्यों  तुमने भुलाया है उन्हें,
भूलना उनको तुम्हारी भूल है
सच्चे दिल से प्यार करते है तुम्हे ,
भूल कर माँ बाप को मत भूलना
सूर्य उगता ,चमकता,ढलता भी है,
याद रख,इस बात को मत भूलना
बालपन के पल सुहाने,भोलापन,
भूलना मत ,प्रेमिका के प्यार को
भूल जाना तुम किसी की भूल को,
भूलना मत ,किसी के उपकार को
 दुश्मनी कोई करे तो भुला दो,
भूलना मत दोस्ती का नजरिया
मत भुलाना किसी के अहसान को ,
भूल जाना तुम सभी की गलतियां
भूल जाओ ,अपने सारे गमो को,
कभी खुशियाँ,कभी गम,जीवन यही
ख्याल  पल पल जो तुम्हारा रख रहा ,
उस प्रभू को भूलना किंचित  नहीं
याद रखना गलतियां ,जिनने कभी,
सफलता का पथ प्रदर्शित था किया
दूसरों के  दोष  ढूंढो  बाद में ,
पहले देखो खुद में है क्या खामियां
जवानी के जोश में मत भूलना ,
कल बुढ़ापा भी तुम्हे  तडफायेगा
चार दिन की चांदनी है जिन्दगी ,
क्या पता कब मौत का पल आयेगा
भूलना आदर्श मत,उत्कर्ष हित,
किया जो संघर्ष को मत भूलना
मातृभूमी स्वर्ग से भी बढ़ के है,
अपने भारत वर्ष को मत भूलना

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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