एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

कुछ तो ख्याल किया होता

    कुछ तो ख्याल किया होता

जिनने जीवन भर प्यार किया ,
                उन्हें कुछ तो प्यार दिया  होता
मेरा ना मेरी बुजुर्गियत ,
                का कुछ तो ख्याल  किया होता
छोटे थे थाम  मेरी उंगली ,  
                   तुम पग पग चलना सीखे थे,
मै डगमग डगमग गिरता था,
                   तब मुझको  थाम लिया होता
जब तुम पर मुश्किल आई तो ,
                     मैंने आगे बढ़ ,मदद करी,
जब मुझ पर मुश्किल आई तो,
                       मेरा भी साथ दिया होता
मैंने तुमसे कुछ ना माँगा ,
                        ना मांगू ,ये ही कोशिश है,
अहसानों के बदले मुझ पर,
                        कुछ तो अहसान किया होता


मदन मोहन बाहेती'घोटू'

आप आये

       आप  आये

सर्द मौसम,आप आये
अकेलापन ,आप आये
दुखी था बमन,आप आये
बड़ी तडफन ,आप आये
खिल उठा मन,आप आये
हुई सिहरन,आप आये
मिट गया तम,आप आये 
रौशनी बन ,आप आये
खनका आँगन,आप आये
बंधे बंधन,आप आये
बहका ये तन,आप आये
महका जीवन आप आये

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

ये मन बृन्दावन हो जाता

    ये मन बृन्दावन  हो जाता

तेरी गंगा, मेरी यमुना ,
                              मिल जाते,संगम हो जाता
 तन का ,मन का ,जनम जनम का,
                                  प्यार भरा बंधन हो जाता 
जगमग दीप प्यार के जलते ,
                                    ज्योतिर्मय  जीवन हो जाता
रिमझिम रिमझिम प्यार बरसता ,
                                     हर मौसन सावन हो जाता
प्यार नीर में घिस घिस ये तन,
                                     महक भरा चन्दन  हो जाता
इतने पुष्प प्यार के खिलते ,
                                      जग नंदनकानन  हो जाता
श्वास श्वास के मधुर स्वरों से,
                                      बंसी का वादन  हो जाता
रचता रास ,कालिंदी तीरे ,
                                    ये मन वृन्दावन  हो जाता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

ये प्यारा इन्कार तुम्हारा

       ये प्यारा  इन्कार तुम्हारा

पहले तो ये सजना धजना ,
                      मुझे लुभाना और रिझाना
 बाँहों में लूं ,छोडो छोडो ,
                        कह कर मुझसे  लिपटे  जाना
ये प्यारा  इन्कार  तुम्हारा ,
                     रूठ  रूठ कर के मन   जाना
वो प्यारी सी मान मनोवल ,
                      आकर  पास ,छिटक फिर जाना
इन्ही अदाओं का जादू तो,
                      मन की तड़फ ,आग भड़काता
अगर ना नुकर तुम ना करती ,
                       कैसे मज़ा  प्यार का  आता

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

रविवार, 23 दिसंबर 2012

बलात्कार

           बलात्कार
एक बलात्कार ,ka
पांच छह उद्दंड दरिंदों ने ,
एक बस में,
एक निरीह कन्या के साथ किया
और जब इसके विरोध में,
देश की जनता और युवाओ ने ,
इण्डिया गेट पर शांति पूर्ण प्रदर्शन किया ,
तो दूसरा बलात्कार ,
दिल्ली पुलिस के सेकड़ों जवानो ने ,
हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ किया ,
जब आंसू गेस से आंसू निकाले ,
लाठियों से पीटा,
और सर्दी में पानी की बौछारों से गीला किया
कौनसा बलात्कार ज्यादा वीभत्स था? 
क्या एक अबला लड़की के साथ ,
हुए अन्याय के विरुद्ध ,
न्याय मांगना ,एक आम आदमी का ,
अधिकार नहीं है या जुर्म है ?
ये कैसा प्रजातंत्र है?
ये कैसी व्यवस्था है?
हम शर्मशार है कि ऐसी घटनाओं पर ,
एक तरफ तो नेता लोग ,
मौखिक सहानुभूति दिखलाते है ,
और दूसरी और ,प्रदर्शनकारियों को,
लाठी से पिटवाते है
      घोटू 

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-