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बुधवार, 19 दिसंबर 2012

चुनौती वक़्त के साथ चलने की

देखो बू आ रही है ये दुनिया जलने की,
आज राह देखता सूरज शाम ढलने की,
जिंदगी हर एक की यहाँ पशोपेश में "दीप",
आज एक चुनौती है वक़्त के साथ चलने की |

बिखर रही मानवता माला से टूटे मोती जैसी,
रंग दिखा रही हैवानियत जाने कैसी-कैसी,
तार-तार होती अस्मिता आज सरेआम ऐ "दीप",
नैतिकता और सभ्यता की हो रही ऐसी-तैसी |

दो पल का शोक मनाने को हर कोई है खड़ा,
सच्चाई और सहानुभूति की बात करने को अड़ा,
हैवान तो है बैठा हम सबके ही बीच ऐ "दीप",
पूरा का पूरा समाज ही आज है हासिये में पड़ा |

कीमत जिंदगी और इज्ज़त की दो पैसे भी नहीं,
मौत का ही मंजर तो दिखता है अब हर कहीं,
एक-दूसरे को लूटने में ही लगे हैं सभी ऐ "दीप",
कौफजदा-सा होकर सब जी रहे हैं वहीं के वहीं |

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

माचिस की तिली

           माचिस की तिली
पेड़ की लकड़ी से बनती,कई माचिस  की तिली ,
सर पे जब लगता है रोगन,मुंह में बसती  आग है 
जरा सा ही रगड़ने पर ,जलती है तिलमिला कर,
और कितने दरख्तों को ,पल में करती खाक   है
                       घोटू

सम्बन्ध

      सम्बन्ध
हमारे संबंध क्या हैं ?पारदर्शी  कांच है
खरोंचे उस पार की भी,नज़र आती साफ़ है
जरा सा झटका लगे तो,टूट कर जाते बिखर ,
सावधानी से बरतना ,ही अकल की बात है
          घोटू

अजब बात

    अजब बात

देख सकते आप जिसको ,आपके जो साथ है
प्यार उसको  कर न पाते,पर अजब ये बात है
नहीं देखा कभी जिसको ,उस प्रभू के नाम का,
जाप करते रोज है और पूजते दिन रात है
           घोटू

आगर की माटी

        आगर की माटी

मालव प्रदेश की भरी मांग ,
                           इसमें  सिन्दूरी लाली है
है सदा  सुहागन यह धरती ,
                            मस्तानी है,मतवाली है
जोड़ा है लाल,सुहागन सा,
                           महकाता  इसका  कण कण है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
                            आगर  की माटी  चन्दन है
है ताल तले भैरव बाबा ,
                            जिसकी रक्षा करने तत्पर
और तुलजा मात भवानी का,
                             है वरद हस्त जिसके सर पर
बन बैजनाथ ,कर रहे वास                    ,
                             उस महादेव का  वंदन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
                              आगर की माटी चन्दन है
मैने जब आँखें खोली थी ,
                            और ली पहली अंगडाई थी
नंदबाबा से बाबूजी थे ,
                             और मात यशोदा   बाई थी 
ये ही गोकुल है ,नंदगाँव ,
                               ये ही मेरा वृन्दावन  है
माथे पर इसे लगाओ तुम ,
                                आगर की माटी  चन्दन है
  है मुझे गर्व ,इस धरती  पर,
                               इस माटी  पर,इस आगर पर 
 मै इस माटी  का बेटा हूँ,
                                करता  प्रणाम इस को  सादर
इसमें है कितना वात्सल्य ,
                                कितनी  ममता अपनापन है
माथे पर इसे लगाओ तुम,
                                आगर  की माटी  चन्दन है

मदन मोहन  बाहेती'घोटू'
             

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