आओ हम तुम हँसे
आओ हम तुम हंसें
मन में खुशियाँ बसे
जीवन की आपाधापी में,
रहे न यूं ही फंसे
खुश हो सबसे मिलें
दिल की कलियाँ खिले
नहीं किसी से बैर भाव,
मन में शिकवे गिले
बस यूं ही मुस्काके
लगते रहे ठहाके
धीरे धीरे बिसर जायेंगे,
सारे दुःख दुनिया के
खिल खिल ,कल कल बहें
लगा सदा कहकहे
तन मन दोनों की ही सेहत,
सदा सुहानी रहे
चेहरा हँसता लिये
सुखमय जीवन जियें
बहुत मिलेगी खुशियाँ,
यदि कुछ करो किसी के लिये
चार दिनों का जीवन
हो न किसी से अनबन
खुशियाँ बरसेगी,सरसेगी,
हँसते रहिये हरदम
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा
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*शिक्षक पुरस्कारों के आवेदन के बोझ तले दबी शिक्षक गरिमा*
*खुद की प्रशंसा करने को मजबूर, वो क्या आदर्श बन पाएंगे,*
*खुद को ही साबित करने में जुटे, दूसरों को...
16 घंटे पहले