बाती और कपूर
खुद को डूबा प्रेम के रस में,
तुम जलती हो बन कर बाती
जब तक स्नेह भरा दीपक में,
जी भर उजियाला फैलाती
और कपूर की डली बना मै,
जल कर करूं आरती ,अर्चन,
निज अस्तित्व मिटा देता मै,
मेरा होता पूर्ण समर्पण
तुम में ,मुझ में ,फर्क यही है,
तुमभी जलती,मै भी जलता
तुम रस पाकर फिर जल जाती,
और मै जल कर सिर्फ पिघलता
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
व्हाट्सएप्प चैट सबूत क़े रूप में मान्य -मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
-
*(व्हाट्सएप्प चैट सबूत के रूप में मान्य-मध्य प्रदेश हाई कोर्ट)*
व्हाट्सएप्प चैट को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय में
पति को अपनी पत्न...
12 घंटे पहले