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गुरुवार, 6 सितंबर 2012

बाती और कपूर

बाती और कपूर

खुद को डूबा प्रेम के रस में,
               तुम जलती हो बन कर बाती
जब तक स्नेह भरा दीपक में,
                जी भर उजियाला    फैलाती
और कपूर की डली बना मै,
                  जल कर करूं आरती ,अर्चन,
निज अस्तित्व मिटा देता  मै,
                 मेरा होता पूर्ण समर्पण
तुम में ,मुझ में ,फर्क यही है,
               तुमभी जलती,मै भी जलता
तुम रस पाकर फिर जल जाती,
               और मै जल कर सिर्फ पिघलता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'               

बुधवार, 5 सितंबर 2012

गुरु की महिमा

गुरु की महिमा क्या कहूँ,
शब्दों से न कह पाते हैं;
इत्र ज्यों तन को महकाए,
ये जीवन महका जाते हैं|

जीने का ढंग बतलाते हैं,
पाठ कई सिखला जाते हैं;
अर्थ जीवन का भी बताते,
रंग कितने हैं समझा जाते हैं |

पथ-प्रदर्शक बन जीवन में,
सत्य मार्ग दिखला जाते हैं;
लक्ष्य तक कैसे हम पहुँचे ये,
शिक्षक ही सब बतलाते हैं |

तन में जैसे प्राण हैं होते,
ज्ञान त्यों मन को दे जाते हैं;
शिक्षा का ये दान हैं देते,
अंतर शुद्धि कर जाते हैं |

आदि काल से शिक्षकगण ही,
पूर्ण विकास करवा जाते हैं;
मानव वो अपूर्ण ही होता,
गुरु के बिन जो रह जाते हैं |

ईश्वर से भी बढ़कर होता,
गुरु की महिमा बतलाते हैं;
गुरु के बिन जीवन दुष्कर है,
अर्थहीन है, समझाते हैं |

सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

उलझनें


जब भी तेरी याद आती है,
लबों पे मुस्कान थिरक जाती है,
पता नहीं वो कौन सी डोर है,
जो मुझे तुझसे बांध जाती है |


नजाने अनजाने होकर भी,
क्यों लगते हो मुझे अपनों से ?
बातें तेरी एहसास दिलाती,
रिश्ता हो अपना ज्यों जन्मों से |

पल भर का साथ भी तेरा,
दिल मे खुशियाँ बस भरता है,
पास तेरे बस आ जाने को,
ये मन क्यों तड़पा करता है ?

ये कैसा दिल का रिश्ता है,
न जाने क्या अंजाम है ?
हर वक्त क्यों याद आते हो,
इस रिश्ते का क्या नाम है ?

क्या उत्तर है मेरे प्रश्नो का,
क्यों इस कदर ये उलझने हैं ?
द्वंद में हैं अपने ही अंतर के,
क्या कभी ये प्रश्न सुलझने हैं ?

चुनाव लड़ने की घोषणा

चुनाव लड़ने की घोषणा

भाइयों,दोस्तों और मेरे शुभ चिंतकों,
मै आपको अभी से सूचित कर रहा हूँ
कि मै आने वाला आम चुनाव लड़ रहो हूँ
सभी राजनेतिक पार्टियों से मेरा मोह भंग हो गया है
इनके झूंठे वादों,भ्रष्टाचार और मंहगाई से,
आम आदमी तंग हो गया  है
इसलिए यदि आप साथ देंगे,
तो मै अकेले ही घोड़ी चढूँगा
और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडूंगा
ये सच है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है
पर अकेला जूता दुष्टों के सर फोड़  सकता है
इसलिए मैंने अपना चुनाव चिन्ह रखा है'जूता'
क्योंकि सब काम कराने का इसीमे है बूता
ये आपको काँटों से बचाता है
ठोकरों से  भी बचाता है
और सही सलामत मंजिल तक पहुंचाता है
ये आम आदमी का दोस्त है,
बड़ा मददगार है
और दुश्मनों से लड़ने के लिए,
सबसे सुगम हथियार है
सत्तारूढ़ पार्टी से जब भी कोई काम कराना होगा
तो जाहिर है,मुझको जूता  ही चलाना होगा
क्योंकि क्लिंटन हो या चिदंबरम,
जब जूता चल जाता है
तो खानेवाला और चलानेवाला,
बड़ी पब्लिसिटी पाता है
और आपका मुद्दा जनता के सामने आ जाता है
 मुझे विश्वास है,आपका सब काम ,
करवाउंगा मै जूते के बूते
क्योंकि मै जानता हूँ कि अगर मै,
आपकी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा,
तो आप ही मुझे मारेंगे जूते
इसलिए कृपा करके अभी से नोट कीजिये
कि आने वाले चुनाव में जूते को ही बोट दीजिये
और दुआ कीजियेगा कि,
किसी भी पार्टी का बहुमत न आये
और कई दल मिलजुल कर सरकार बनाएं
और ऐसी सिचुवेशन में ,स्वतंत्र उम्मीदवार का,
महत्त्व तो आप जानते ही है
और आपके इस अदने से,जूतेवाले सेवक को,
तो आप पहचानते ही है
तोड़ जोड़ करके यदि बन गया मिनिस्टर
तो फिर आपकी सारी उम्मीद पर,
एकदम एसा खरा उतरूंगा
कि अपने चुनावक्षेत्र को,पोलिश कर,
एकदम जूते सा चमका दूंगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 3 सितंबर 2012

पति को पटाने के तीन नुस्खे

      पति को पटाने के तीन नुस्खे

                   १
अगर आप चाहती है कि आपके पति,
आपमें अरुचि ना रखें,
तो आप गरिष्ठ भोजन में अरुचि रखें
ताकि आपका बदन छरहरा रहे
और यौवन हरा भरा रहे
अपने शरीर को फैलने का मौका मत दो
और अपने पति को ,इधर उधर,
झाँकने का मौका मत दो
मतलब साफ़ है,यदि पति को पटाना है
तो आपको अपना वजन घटाना है
                    २
भजन,पूजन,कीर्तन,सब है आवश्यक
लेकिन ये अच्छे है,बस एक सीमा तक
धार्मिक बनो पर धर्म कि पराकाष्ठा मत करो
और देवताओं के चक्कर में ,अपने पति को मत बिसरो
क्योंकि पति भी होता है,एक रूप परमेश्वर का
उसकी सेवा में ही भला है घर भर का
भजन कीर्तन में इतना समय मत लगाओ
कि अपने पति को ही समय ना दे पाओ
यदि आपको अपने पति का प्यार पाना है
तो भगवान के साथ साथ,पति के गुण भी गाना है
                       ३
हमेशा मायके के गुण मत गाओ
और ससुरालवालों को बुरा मत बतलाओ
क्योंकि अब तुम्हारा घर,मायका नहीं,ससुराल है
और ससुराल वालों से मिला कर रखनी ताल है
पर सास,ननद और  रिश्तेदारों की सेवा के  चक्कर में
कई बार परेशानी भी हो जाती है घर में
इस चक्कर में खुद को इतना मत उलझादो
कि अपने प्यारे पतिदेव को ही भुलादो
अगर आपको प्यार का रस चखना है
तो अपने पति का पूरा पूरा ख्याल रखना है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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