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बुधवार, 30 मई 2012

लालची लड़कियां

           लालची  लड़कियां

कुछ लड़कियां

रंगबिरंगी तितलियों सी मदमाती है
भीनी भीनी खुशबू  से ललचाती है
उड़ उड़ कर पुष्पों पर मंडराती  है
बार बार पुष्पों का रस पीती है
रस की लोभी है,मस्ती से जीती है
कुछ लड़कियां,
कल कल करती नदिया सी,
खारे से समंदर से भी,
मिलने को दौड़ी चली जाती है
क्योंकि समंदर,
तो है रत्नाकर,
उसके मंथन से,रतन जो पाती है
कुछ लड़कियां,
पानी की बूंदों सी,
काले काले बादल का संग छोड़,
इठलाती,नाचती है हवा में
धरती से मिलने का सुख पाने
और धरती की बाहों  में जाती है समा
क्योंकि धरा,होती है रत्नगर्भा  
ये लड़कियां,
खुशबू और रत्नों के सपने ही संजोती है
इतनी लालची क्यों होती है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

मंगलवार, 29 मई 2012

आपकी खूबसूरती

आपकी खूबसूरती

आपको छूने से आ जाती जिस्म में गर्मी,
       देख कर आँखों को ,ठंडक मिले    गजब सी है
आपके पास में आने से पिघल जाता बदन,
            आपके  हुस्न की तासीर ही अजब सी है
 आपके आते ही ,सारी फिजा बदल जाती,
          आप मुस्काती  हैं,तो जाता है बदल मौसम
एक खुशबू सी बिखर जाती है हवाओं में,
          चहकने लगता है,महका  हुआ सारा  गुलशन
आप इतनी हसीं है और इतनी नाज़ुक है,
          आपको छूने में भी थोडा  हिचकता है दिल
आप में नूर खुदा का है,आब सूरज की,
         चमक है चन्दा सी चेहरे पे,हुस्न है कातिल
बड़ी   फुर्सत से गढ़ा है बनाने वाले ने,
         उसमे कुछ ख़ास मसाला भी मिलाया  होगा
देखता रह गया होगा वो फाड़ कर आँखें,
         आपको रूबरू जब सामने    पाया    होगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
     

चलो आज कुछ तूफानी करते है

चलो  आज कुछ तूफानी करते है
होटल में पैसे उड़ाते नहीं,
गरीबों का चायपानी करते है
चलो ,आज कुछ तूफानी करते है
अनपढ़ को पढना सिखायेंगे  है हम
भूखों को खाना खिलाएंगे  हम
काला ,पीला ठंडा पियेंगे नहीं,
प्यासों को पानी पिलायेंगे हम
काम किसी के तो आ जाएगी,
दान चीजें पुरानी करतें है
चलो,आज कुछ तूफानी करते है
निर्धन की बेटी की शादी कराये
अंधों की आँखों पे चश्मा चढ़ाएं
अपंगों को चलने के लायक बनाये
पैसे नहीं,पुण्य ,थोडा  कमाए
अँधेरी कुटिया में दीपक जला,
उनकी दुनिया सुहानी करते है
चलो ,आज कुछ तूफानी करते है
बूढों,बुजुर्गों को सन्मान दें
बुढ़ापे में उनका सहारा  बनें
बच्चों का बचपन नहीं छिन सके
हर घर में आशा की ज्योति   जगे
लाचार ,बीमार ,इंसानों के,
जीवन में हम रंग भरते है
चलो,आज कुछ तूफानी करते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

अपना अपना नजरिया

    अपना अपना नजरिया
एक बच्चा कर में जा रहा था
एक बच्चा साईकिल चला रहा था
साईकिल वाले बच्चे ने सोचा,
           देखो इसका कितना मज़ा है
            कितना सजा धजा है
            न धूल है,न गर्मी का डर है 
               नहीं मारने पड़ते पैडल है
    क्या आराम से जी रहा है
कार वाले लड़के ने सोचा,
            मै कार के अन्दर  हूँ बंद
            मगर इस पर नहीं कोई प्रतिबन्ध
            जिधर चाहता है ,उधर जाता है
            अपने रास्ते खुद बनाता  है
  कितने मज़े से जी रहा है
दोनों की भावनायें जान,
ऊपरवाला  मुस्कराता है
कोई भी अपने हाल से संतुष्ट नहीं है,
दूसरों की थाली में,
ज्यादा ही घी नज़र आता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

सोमवार, 28 मई 2012

याद आये रात फिर वही

 
अहद तेरा यूँ लेकर दिल में
याद आये रात फिर वही
बदगुमान बन तेरी चाहत में
अपने हर एहसास लिये मुझे

याद आये रात फिर वही
अनछुये से उस ख़्वाब का
बेतस बन पुगाने में मुझे
याद आये रात फिर वही
उनवान की खामोशी में
सदियों की तड़प दिखे और
याद आये रात फिर वही
तेरे ख़्यालों में खोयी
ये जानती हूँ तू नहीं आयेगा
फिर भी मुझे,
याद आये रात फिर वही
याद आये बात फिर वही ।
© दीप्ति शर्मा

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