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गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

बन्दे कुछ चालाक, गधे से हल चलवाते-

सीधा साधा सौम्य सा . काँखा- कूँखा नाय ।
नमक-रुई की बोरियां, चतुराई विसराय ।

चतुराई विसराय, नई संतति  है  आई  |
गबरगण्ड गमखोर, गधे को मिले बधाई ।

बन्दे कुछ चालाक, गधे से हल चलवाते ।
रविकर मौका देख, गधे को बाप बनाते ।। 


 

बाल रंग कर के बूढा आया है

बाल रंग कर के बूढा आया है

देखो कैसा जूनून छाया है

बाल रंग कर के बूढा आया है
पहन ली जींस,बड़ी टाईट है
और टी शर्ट भी बड़ी फिट है
खूब परफ्यूम तन पे है छिड़का
बड़ा रंगीन है मिजाज़ इसका
गोल्ड का फेशियल कराया है
देखो कैसा जूनून छाया है
बहुत गुल खिलाये जवानी में
लगाई आग ठन्डे पानी में
आजकल बहुत कसमसाता है
स्वर्ण  की भस्म रोज़ खाता है  
देख कर हुस्न छटपटाया है
देखो कैसा जूनून छाया है
भले ही बूढा हो गया बन्दर
जोश अब भी है जिस्म के अन्दर
हरकतें मनचलों सी करता है
गुलाटी के लिए  मचलता है
बासी कढ़ी में उबाल आया है
देखो कैसा जूनून छाया है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

भावनाए मेरी भी समझा करो तुम

भावनाए मेरी भी समझा करो तुम

मै समझता हूँ तुम्हारी भावनाएं,

                भावनाएं मेरी भी समझा करो तुम
चाहती हो तुम कि मै तुमको सराहूं
तुम्हारे सौन्दर्य में, मै डूब जाऊं
तुम्हारी तारीफ़ हरदम रहूँ करता,
प्रेम में रत,मै तुम्हारे गीत गाऊँ
मै समझता हूँ तुम्हारी कामनाएं,
                 कामनाएं मेरी भी समझ करो तुम
कर दिया है,जब सभी कुछ तुम्हे अर्पण
प्यार क्यों प्रतिकार में मांगे  समर्पण
एक दूजे के बने हम परिपूरक,
एक दूजे कि प्रतिच्छवी ,बने दर्पण
मै महकता हूँ तुम्हारी सुगंधी से,
                  गंध से मेरी कभी महका करो तुम
मै उमड़ता भाव हूँ,तुम हो कविता
और शीतल चन्द्रमा तुम,मै सविता
कलकलाती बह रही ,आतुर मिलन को,
प्यार का मै हूँ समंदर,तुम सरिता
जिस तरह मै चहकता हूँ तुम्हे लख कर,
               देख मुझको भी कभी चहका  करो  तुम
मै समझता हूँ तुम्हारी भावनाए,
                  भावनाएं मेरी भी समझा करो तुम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का

रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का
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उठालो फायदा जी भर के तुम बुजुर्गों का
ये तो हैं,एक समन्दर भरा ,तजुर्बों  का
प्रेम से जब भी उसमे डुबकियाँ लगाओगे
थोड़े गहरे से ही ,मोती को ढूंढ लाओगे
मिला है साया बुजुर्गों का बड़ी किस्मत से
खजाना भरलो उनकी दुआओं की दौलत से
बड़ी तकदीर से ही साथ मिलता है इनका
इनका साया ओ सर पे साथ मिलता है इनका
ये खुशनसीबी है कि तुमको मिला है मौका
करो सन्मान,रखो ख्याल तुम बुजुर्गों का

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

खाते पीते नेता

खाते पीते नेता

देश के प्रेम की बातें हमें सिखाते है

छेदते है उसी थाली को,जहाँ खाते है
ये जो नेताजी,सीधे सादे से दिखाते है
बड़े खाऊ है,खूब रिश्वतें ये खाते  है
है बिकाऊ,बड़े मंहगे में  बिकाते है
हमने पूछा कि आप इतना पैसा खाते है
फिर भी क्यों  आप सदा भूखे ही दिखाते है
छुपा के ये कमाई,कहाँ पर रखाते  है
हमारी बात सुन,नेताजी मुस्कराते  है
अजी हमारे स्विस कि बेंकों में खाते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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