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बुधवार, 31 अगस्त 2022

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मंगलवार, 30 अगस्त 2022

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रविवार, 28 अगस्त 2022

जय गणेश गणपति गजानन 
करूं आपका, मैं आराधन 

तुम सुत महादेव के प्यारे 
प्रथम पूज्य तुम देव हमारे 
एक दंत और कर्ण विशाला 
अरुण कुसुम की धारे माला
कर में कमल ,माथ पर चंदन 
भव्य रूप ,गौरी के नंदन 
तुम हो रिद्धि सिद्धि के दाता
हम सबके तुम बुद्धि प्रदाता
लाभ और शुभ, पुत्र तुम्हारे
हरते सबके संकट सारे
सुख सरसाते, कष्ट निकंदन 
 जय गणेश गणपति गजानन 
 
लक्ष्मी साथ तुम्हारा पूजन 
दिवाली पर करें सभी जन 
सरस्वती संग साथ तुम्हारा 
सबको ही लगता है प्यारा 
दो देवी को बुद्धि बल से 
तुमने साध रखा कौशल से 
रखो संतुलन बना विनायक 
महाकाय ,पर वाहन मूषक 
जब हो घर में कुछ आयोजन 
देते तुमको प्रथम निमंत्रण 
मिलता आशीर्वाद तुम्हारा 
काम विध्न बिन होता सारा 
सूज बूझ है बड़ी विलक्षण 
जय गणेश ,गणपति गजानन

मदन मोहन बाहेती घोटू 
गई शान,अभिमान पस्त है ,
फूटी किस्मत अब रोती है 
कभी मूसलाधार बरसता ,
अब तो बस रिमझिम होती है 

बादल आते हैं मंडराते ,
फिर भी सूखा पड़ा हुआ है 
ना बरसेगा ये बादल भी,
अपनी जिद पर अड़ा हुआ है 
बहती कभी हवाएं ठंडी 
लेकिन सौंधी गंध न आती 
अब बगिया में फूल खिलते
 जिन पर थी तितली मंडराती
 इस मौसम में सूखी बगिया ,
 अपनी सब रौनक होती है 
 कभी मूसलाधार बरसता,
 अब तो बस रिमझिम होती है 
 
कभी उमंगों के रंगों में ,
रंगा हुआ था सारा जीवन 
पंख लगा कर हम उड़ते थे ,
मौज मस्तियों का था आलम 
पहले थे पकवान उड़ाते ,
अब खाते हैं सूखी रोटी 
काम न आती, जो जीवन भर 
करी कमाई हमने मोटी
बोझिल मन और बेबस आंखें, 
बरसाती रहती मोती है
कभी मूसलधार बरसता,
अब तो बस रिमझिम होती है

मदन मोहन बाहेती घोटू

शुक्रवार, 26 अगस्त 2022

चंदन की हो या बबूल की,
 हर लकड़ी के अपने गुण है 
 लेकिन जब वह जल जाती है 
 सिरफ राख ही रह जाती है 
 
मैली बहती गंदी नाली ,
जब मिल जाती है गंगा से 
अपनी सभी गंदगी खो कर ,
वह भी गंगा बन जाती है  

अगर फूल गिरता माटी पर,
 मिट्टी भी खुशबू दे देती ,
 सज्जन संग सत्संग हमेशा 
 मन को शुद्ध किया करता है 
 
अच्छे कर्म किए जीवन के 
आया करते काम हमेशा 
मानव देव पुरुष बन जाता
 घड़ा पुण्य का जब भरता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 
कटी जवानी लाड़ लढाते,
 कटा बुढ़ापा लड़ते लड़ते 
 गलती कोई ने भी की हो ,
 दोष एक दूजे पर मढ़ते

 रस्ते में कंकर पत्थर थे,
  ठोकर खाई संभल गए हम
  सर्दी धूप और बरसाते,
   झेले कई तरह के मौसम
  लेकिन जब तक रही जवानी ,
  हर मौसम का मजा उठाया 
  मस्ती के कोई पल को भी,
   हमने होने दिया न जाया 
   खाया पिया मौज उड़ाई ,
   घूमे पूरी दुनिया भर में 
   थे जवान हम पंख लगे थे,
   उड़ते फिरते थे अंबर में 
   जोश भरा था और उमंग थी
   पैर नहीं धरती पर पड़ते
   कटी जवानी , लाड़ लढाते,
   कटा बुढ़ापा लड़ते-लड़ते 
     
फिर धीरे-धीरे चुपके से,
 दबे पांव आ गया बुढ़ापा 
 घटने लगी उमंग जोश सब,
 संदेशा लाया विपदा का 
 लाड़ प्यार सब फुर्र हो गया ,
 जब तन था कमजोर हो गया
  तानाकशी एक दूजे पर,
  नित लड़ाई का दौर हो गया 
  किंतु लड़ाई जो भी होती,
   प्यार छुपा रहता था उसमें 
   वक्त काटने का एक जरिया
   यह झगड़ा होता था सच में 
  और जीवन का सफर कट गया 
   अपनी जिद पर अड़ते अड़ते 
   कटी जवानी लाड़ लढाते,
   कटा बुढ़ापा, लड़ते-लड़ते

मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

जीवन पथ

मैं जब इस दुनिया में आया 
प्रभु ने जीवन मार्ग बताया 
जिस रस्ते पर चले महाजन
उस पथ का तुम करो अनुसरण 
मैंने तुम्हें चुना मुरलीधर
और तुमको आदर्श मानकर
किया वही तुमने जो किया 
तुम जैसा ही जीवन जिया 
जीवन पद्धति को अपनाया
 दूध दही और मक्खन खाया 
 गोपी सर की हंडिया फोड़ी
  घर-घर जा,की माखन चोरी 
  मैंने दूध दही और माखन 
  खाकर किया बदन का पोषण 
  छेड़छाड़ का मजा उठाया
   प्यार गोपियों का भी पाया 
   किया बांसुरी का भी वादन 
   और चुराया राधा का मन 
   अपनी गर्लफ्रेंड के संग में 
   मैं भी रंगा रास के रंग में 
   सच वह दिन से बड़े सुहान
    फिर फिर हम होने लगे सयाने 
    मथुरा छोड़ गए तुम गोकुल 
   कॉलेज गया छोड़ मै स्कूल 
    राजकाज तुम रहे हो उलझ कर
    मैं भी बना बड़ा एक अफसर
    और रिटायर होने पहले 
    तूने त्यागे सभी झमेले 
    सब लड़ाईया छोड़ी छाड़ी
     राजनीति का बना खिलाड़ी 
     महासमर में महाभारत के 
    लिप्त रहा पर सबसे बचके
    तूने ना हाथियार उठाया 
    कूटनीति से काम चलाया 
    गीता का उपदेश सुना कर 
    दूर किया अर्जुन का सब डर
    सागर तीरे बसा द्वारका 
    दिया संदेशा तूने प्यार का 
    और द्वारकाधीश कहाया
     सबके मन को बहुत लुभाया
      देव पुरुष तू महान हो गया 
      हम सब का भगवान हो गया 
      मैंने भी गोवा के तट पर 
      कोठी एक बनाई सुंदर 
      सपने पूर्ण किए सब मन के 
      सारे सुख भोगे जीवन के 
      तुझमें मुझमें बस ये अंतर
      आठ पत्नियों का पति बन कर
      तूने सारी उमर गुजारी
      मै रह कर एक पत्नी धारी
      बड़ी शांति से मैं जिया
      और प्यार का अमृत पिया
      फिर भी प्रभु धन्यवाद तुम्हारा
      जीवन काटा सुन्दर प्यारा
      तेरे चरण चिन्ह पर चल कर
      जीवन जिया बहुत मनोहर

मदन मोहन बाहेती घोटू 
    
    

गुरुवार, 18 अगस्त 2022

तुम काहे को हो घबराती 

तुम मेरे कारण चिंतित हो ,
मुझको तुम्हारी चिंता है ,
फिर से अच्छे दिन आएंगे 
तुम काहे को हो घबराती 
अपने मन को ना समझाती

 हमने  मिल जुल हंसी खुशी से
  सुख-दुख सब जीवन के झेले
  अपनी जोड़ी, जोड़ी प्रभु ने,
   हम तुम जीवन भर के साथी 
   तुम काहे को हो घबराती 
   अपने मन को ना समझाती
   
   संकट कटे ,कम हुई पीड़ा,
    सुख के बादल फिर बरसेंगे 
    हम गाएंगे, मुस्कुराएंगे ,
    फिर खुशियों के फूल खिलेंगे 
    बासंती मौसम आएगा 
    और हवा होगी मुस्काती 
    तुम काहे को हो घबराती
    अपने मन को ना समझाती 

मदन मोहन बाहेती घोटू 
विचार बिंदु

 हर उदासी के पीछे हंसी,
 और हंसी के पीछे उदासी छिपी रहती है 
 प्यार और निस्वार्थ भाव से चुनी हुई दीवारें मुश्किल से ढहती है 
 अगर कभी कपड़े नहीं पहने होते 
 तो आज नंगे पन का एहसास नहीं होता 
 अगर समझ से रहे होते 
 तो न झगड़ा होता और ना समझौता 
 आज की गई नादानिया,
 कल की परेशानियों की जनक होती है 
 आदमी की बुद्धि फिर जाती है ,
 जब उसमें अहम की सनक होती है

घोटू 
हाल-चाल 

घट गई तोंद,मोटापा कम है 
फिर भैया काहे का गम है 

 तन में जो आई कमजोरी 
 घट जाएगी थोड़ी थोड़ी 
 शनै शनै सुधरेगी सेहत 
 चेहरे पर आएगी रौनक 
 अगर आप परहेज रखेंगे 
 प्राणायाम और योग करेंगे 
 फिर से होगी काया कंचन 
 और प्रफुल्लित होगा तन मन
 
  तुम्हें लगेगा तुममें दम है
  फिर भैया काहे का गम है
  
 भूख बढ़ेगी जमकर खाना 
 होगा जीवन सफर सुहाना 
 और फिर पूरे परिवार संग
 दीप दिवाली, होली के रंग
 हर दिन ही त्योहार मनेंगे 
 और खुशियों के फूल खिलेंगे
  पाओगे नवजीवन प्यारा 
  होगा कायाकल्प तुम्हारा 
  
मस्ती भरा हर एक मौसम है 
तो भैया काहे का गम है

मदन मोहन बाहेती घोटू

बुधवार, 17 अगस्त 2022



प्यारऔर डॉक्टर 

प्यार 

मिलने की ललक बढ़ जाती है 
सीने की तड़फ बढ़ जाती है 
जब कोई सुंदर मृगनयनी
दिल चुरा, बढ़ाती बेचैनी 
उस बिन  सब सूना लगता है 
संसार अलूना लगता है 
दिल हो जाता है दीवाना 
जब प्यार हुआ तब यह जाना 

डॉक्टर 

कमजोरी छा जाती तन में 
उत्साह न  रहता जीवन में 
रहने लगता है मन उदास 
चिंताएं रहती आसपास 
तब एक आदमी ,दे भेषज
बंधवाता है मन को ढाढस 
वो डॉक्टर होता देवदूत,
बीमार हुए तब यह जाना

मदन मोहन बाहेती घोटू 

रविवार, 14 अगस्त 2022

अनोखी दोस्ती

 कैसे मित्र बने हम बहनी 
 मैं शाखामृग ,तू मृग नयनी
 
 मैं प्राणी, बेडोल शकल का
 हूं थोड़ी कमजोर अकल का 
 लंबी पूंछ , मुंह भी काला 
 मैं हूं चंचल पशु निराला 
 मैं तो पुरखा हूं मानव का 
 मेरा भी अपना गौरव था 
 मुख जो देखे सुबह हमारा 
 उसको मिलता नहीं आहारा 
 तेरा सुंदर चर्म मनोहर 
 तीखे नैन बड़े ही सुंदर 
 तू मित्रों के संग विचरती
 हरी घास तू वन में चरती
 तेरे जीवन का क्या कहना 
 मस्त कुलांचे भरते रहना 
 और मैं उछलूं टहनी टहनी 
मैं शाखामृग, तू मृग नयनी

 नहीं समानता हमें थोड़ी 
 कैसे जमी हमारी जोड़ी 
 हम साथी त्रेतायुग वाले 
 रामायण के पात्र निराले
 मैं मारीच, स्वर्ण का मृग बन 
 चुरा ले गया सीता का मन 
 सीता हरण किया रावण ने 
 राम ढूंढते थे वन वन में 
 मैं हनुमान , रूप वानर का 
 मैंने साथ दिया रघुवर का 
 किया युद्ध ,संजीवनी लाया 
 लक्ष्मण जी के प्राण बचाया 
 और गया फिर रावण मारा 
 रामायण में योग हमारा 
 याद कथा ये सबको रहनी 
 मैं शाखामृग, तू मृगनयनी

 मदन मोहन बाहेती घोटू 

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

शांति की अपील 

इधर-उधर और दाएं बाएं
 देख रही हो होती घटनाएं
 रूस और यूक्रेन लड़ रहे 
 एक दूजे पर दोष मढ़ रहे 
 चीन युद्ध अभ्यास कर रहा 
 ताइवान की ओर बढ़ रहा 
 पाकिस्तानी आतंकवादी
  घुसते भारत में उन्मादी
  अमेरिका सबको उकसाता 
  दे हथियार,युद्ध भड़काता 
  ऐसा कुछ माहौल बना है 
  परेशान हर एक जना है 
  तुम छोटी बातों को लेकर 
  मुझसे लड़ती रहती दिनभर 
  यह मत देखो, यह मत बोलो 
  मेरे आगे मुंह मत खोलो 
  आंख मूंदकर मेरी मानो
   अमेरिका सा मुझको जानो
   अश्रु गैस से मुझे डराती 
   बैलन का हथियार चलाती 
   बात-बात पर रुठा रूठी
   रोज शिकायत झूठी झूठी 
   विश्वयुद्ध का  है छाया
    तुमने है गृह युद्ध मचाया 
    मैं हथियार डालता डर में
    कायम शांति रहे इस घर में 
    तुम भी कुछ परिवर्तन लाओ
    देवी, शांतिदूत बन जाओ

मदन मोहन बाहेती घोटू 

सोमवार, 8 अगस्त 2022

पूछ रहे क्या हाल-चाल है 
तुम्ही भी समझ लो कैसे होगे,
 भैया ये तो अस्पताल है 
 
श्वेत पर्दों से घिरा आईसीयू,
 अब लगने लगा कश्मीर है 
 कद्दू की सब्जी के टुकड़े ,
 लगते मटर पनीर हैं 
कभी रायता जो मिल जाता
तो वो लगता खीर है 
 केरल की सेवाभावी नर्सें
  कर रही देखभाल है 
  भैया यह तो अस्पताल है 
  
  बीमारी में सभी डॉक्टर 
  को मिल गई खुली छूट 
  सबका बस एक लक्ष्य है 
  जितना लूट सके तू लूट 
  जब तक के बीमार का 
  पूरा घर ना जाए टूट
  आदमी आता बीमार है 
  लौटता ता कंगाल है 
  भैया यह तो अस्पताल है

घोटू 
मैंने जीना सीख लिया है 

यह बीमारी वह बीमारी 
रोज-रोज की मारामारी 
यह मत खाओ, वह मत खाओ 
मुंह पर अपने मास्क लगाओ 
गोली ,कैप्सूल ,इंजेक्शन 
खाओ दवाएं, फीका भोजन
 हर एक चीज पर थी पाबंदी
 पाचन शक्ति पड़ गई मंदी
 मेरी हालत बुरी हो गई 
 चेहरे की मुस्कान खो गई 
 मुझे प्यार से समझा तुमने,
 मेरे मन को ठीक किया है 
 मैंने जीना सीख लिया है 
   
तुमने बोला ,सोच सुधारो 
यू मत अपने मन को मारो 
मनमाफिक, सब खाओ पियो 
लेकिन घुट घुट कर मत जियो 
तन अनुसार ,ढाल लो तुम मन 
आवश्यक पर कुछ अनुशासन
 मज़ा सभी चीजों का लो पर 
 रखो नियंत्रण तुम अपने पर
 मौज मस्तियां खूब मनाओ 
 मित्रों के संग नाचो गाओ 
 नई फुर्ती और नए जोश ने ,
 कर मुझ को निर्भीक दिया है 
 मैंने जीना सीख लिया है 
  
जिस दिन से यह शिक्षा पाई 
नव जीवन शैली अपनाई 
बीमारी सारी गायब है 
चेहरे पर आई रौनक है 
फुर्तीला हो गया चुस्त हूं
लगता है मैं तंदुरुस्त हूं 
मेरी सोच सकारात्मक है
और जीने की बढ़ी ललक है 
बाकी जितनी बची उमर है 
अब जीना सुख से ,हंसकर है 
मेरे मन के वाद्य यंत्र ने ,
सीख गया संगीत लिया है 
मैंने जीना सीख लिया है

मदन मोहन बाहेती घोटू

रविवार, 7 अगस्त 2022

धन्यवाद ज्ञापन 

सब ने प्यार दिया ना होता ,
तो मेरा उपचार न होता
 डगमग था जो फंसा भंवर में ,
 मेरा बेड़ा पार ना होता 
 
  व्याधि विकट ,घड़ियां संकट की
   ने जब मुझको घेर लिया था 
   क्षीण आत्मविश्वास हुआ था ,
   हिम्मत में मुंह फेर लिया था 
   जीवन मृत्यु बीच झूले में 
   ऊपर नीचे झूल रहा था 
   बीते दिन की खट्टी मीठी 
   यादों को मैं भूल रहा था 
   इस स्थिति से मुझे उबारा ,
   मुझे डॉक्टर की भेषज ने
    उस पर दूना हाथ बंटाया,
    प्रेम दुआ जो भेजी सब ने 
    करी प्रार्थना सभी हितेषी की  
    अब दिखला रही असर है 
    मेरा स्वास्थ्य सुधार हो रहा,
    और दिनो दिन अब बेहतर है
     शुभचिंतक बंधु बांधव और 
     मित्रों का सहकार न होता 
     आशीर्वाद बुजुर्गों का और 
     ईश्वर का उपकार न होता 
     सब ने प्यार दिया ना होता 
     तो मेरा उपचार ना होता

    मदन मोहन बाहेती घोटू 

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