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सोमवार, 28 मार्च 2022

कान्हा का बुढापा

बूढ़े कान्हा, बूढ़ी राधा, दोनों ही कमजोर हुए, ओल्ड एज में ,मजबूरी में ,ऐसे समय  बिताते है

जमुना तट पर रास रचाना,उनके बस का नहींरहा मूड हुआ तो, कभी शाम जा, पानी पूरी खाते हैं

जिनने बारिश से बचने को गोवर्धन था उठा लिया अब छाता भी अधिक देर तक नहीं उठा वह पाते है
माखन चोरी की बचपन की उनकी आदत छूट गई,
कोलोस्ट्राल बढ़ गया इतना मक्खन पचा न पाते हैं 
खाते छप्पन भोग कभी थे, अब खाते लूखी रोटी डायबिटीज है माखन मिश्री भोग लगा ना पाते हैं

गोपी के संग  छेड़छाड़ के खत्म सिलसिले हुए सभी,
 कंकरी फेंक नहीं पाते अब हंड़िया फोड़ न पाते हैं यमुना में स्नान गोपियां अब भी करती मिल जाती, 
स्विमिंग सूट पहन वह नहाती,वस्त्र चुरा ना पाते हैं 

 पॉल्यूशन का नाग कालिया जमुना करे प्रदूषित है 
 उसे नाथने जमुना में छलांग लगा ना पाते हैं 
 
अब तो नहीं बांसुरी उनसे ठीक तरह से बज पाती कोशिश करते, फूंक मारते, पर जल्दी थक जाते हैं 
अब ना सिर पर मोर मुकुट है,रहे न पीतांबर धारी बरमूडा टी-शर्ट पहन,कंफर्टेबल दिखलाते हैं 

जैसा भी हो,पर वे खुश हैं, दोनों साथ-साथ जो है ,
इतना सब कुछ होने पर भी  दोनों संग मुस्काते हैं

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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