एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

मेरी चाहत  

नहीं चाहिए हीरा मोती, नहीं चाहिए बंगला कोठी 
बस अपना कर सकूं गुजारा, चाहूं नहीं कमाई खोटी जब तक जीयूं स्वस्थ रहूं मैं,मुझको अच्छी सेहत देना 
सबके साथ रहूं हिलमिल कर,प्रभु प्यार की दौलत देना

 तूने जब जीवन ये दिया है ,तो सुख दुख भी बांटे होंगे 
कभी फूल बरसाए होंगे ,कभी चुभाये कांटे होंगे 
 सब विपदायें झेल सकूं मैं,मुझको इतनी हिम्मत देना 
सबके साथ रहूं हिलमिल कर, प्रभु प्यार की दौलत देना
 
 ऐसा मेरा हृदय बनाना ,भरा हुआ जो संवेदन से  दुखियारों के काम आ सकूं,मैं तन से मन से और धन से
 श्रद्धा रखूं ,बुजुर्गों के प्रति, मेरे मन में इज़्जत देना 
सबके साथ रहूं हिलमिल कर, प्रभु प्यार की दौलत देना

 रहे नम्रता भरा आचरण और घमंड भी जरा नहीं हो 
 मेरे हाथों कभी किसी का, भूले से भी, बुरा नहीं हो 
 मन में भक्ति, तन में शक्ति और सब के प्रति चाहत देना 
सब के साथ रहूं हिलमिल कर ,प्रभु प्यार की दौलत देना

मदन मोहन बाहेती घोटू

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-