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सोमवार, 22 मार्च 2021

रिटायर्ड जिंदगी

जब आप केरियर की पीक पर होते है
ऑफिस की पॉवरफुल सीट पर होते है
सारी व्यवस्थायें आपके पीछे डोलती है  
हर तरफ आपकी ही तूती  बोलती है
आपका एक रुदबा और शान होती है
जिंदगी हर तरफ से मेहरबान होती है
आप पर तारीफों के ,पुष्प बरसतें है
लोग आपका फेवर पाने को तरसते है
और फिर आप जब ,हो जाते है रिटायर
अर्श से फर्श पर ,जैसे है जाते गिर
लोगबाग आपसे नज़रे चुराते है
चापलूस चमचे ,नज़र नहीं आते है
कोई भी आपको ,घास नहीं डालता
और यह व्यवहार ,आपको है सालता
भाई साहब जिंदगी के साथ भी यही होता है
जवानी में बॉस रहा जिस्म ,बुढ़ापे में रोता है
जवानी में शरीर का ,हर अंग होता फुर्तीला
पर बुढ़ापा आते ही ,पड़ने लगता ढीला
हाथ काम कम करते ,पैर चल न पाते है
ज़रा सी मेहनत पर ,फूलती साँसें है
खाने को मन करता पर भूख नहीं लगती है
शरीर साथ नहीं देता ,इच्छाएं तो जगती है
मस्तिष्क की तीक्ष्णता ,थोड़ी घट जाती है
भूल जाते चीजे है ,याद डगमगाती है
नज़र से उदर तक,कमजोरी ही कमजोरी
कोई भी नहीं सुनता ,बात आपकी थोड़ी
शरीर का हाल ,रिटायर्ड बॉस सा हो जाता है
दम खो जाता तो रौब भी खो जाता है
हर कोई आपसे ,नज़र बचा निकलता है
ये हमें खलता है और दिल जलता है
जब तक आप पावर में है आपकी इज्जत है
जिंदगी की ये ही ,सबसे बड़ी हक़ीक़त है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

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