चंद चतुष्पदियाँ
१
हंसना सिखाया ,मस्तियाँ और मौज भेज दी
ग़म रोके ,ढेर सारी खुशियां ,रोज भेज दी
मांगे थे मैंने तुझसे बस दो तीन खैरख्वाह ,
तूने तो खुदा ,दोस्तों की फ़ौज भेज दी
२ ,
प्राचीन इमारतों की भी तो शान बहुत है
बुझते हुए दीयों पर भी मुस्कान बहुत है
जीने का ये अंदाज कोई सीख ले हमसे ,
महफ़िल ये बुजुर्गों की ,पर जवान बहुत है
३
बढ़ती हुई उमर के भी अब अंदाज अलग है
बूढ़े हुए है ,दिल में पर जज्बात अलग है
लेते है मौज मस्तियाँ ,आशिक़ मिजाज है ,
बोनस में जी रहे है हम ये बात अलग है
४
वीरान जिंदगी को वो कर खुशनुमा गये
धड़कन के साथ ,जगह वो दिल में बना गये
पहली नज़र में प्यार का जादू चला गए ,
आँखों के रस्ते आये और दिल में समा गए
५
देखूं जो उसे ,मन में एक तूफ़ान जगे है
मुस्कान मेरी अब भी मेरे मन को ठगे है
चांदी से बाल ,सोने सा दिल ,हुस्न गजब का ,
बुढ़िया नहीं,बीबी मेरी ,जवान लगे है
६
मोहब्बत तोड़ कर देखो ,मोहब्बत जान पाओगे
मोहब्बत का सही मतलब ,तभी पहचान पाओगे
शुरू में मोह होता है , साथ में रहते रहते पर ,
इबादत में ,इक दूजे की ,बदलता इसको पाओगे
घोटू ,
घोटू
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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