माथुर साहेबकेँ जन्मदिवस पर
व्यक्तित्व आपका अति महान
माथुर साहब ,तुमको प्रणाम
शीतल स्वभाव ,तुम गरिमामय ,
मुख पर बिखरी पूरनमासी
मुस्काते ,खिले खिले हरदम ,
हो नमह नमह तुम इक्यासी
ओ भातृभाव के अग्रदूत ,
हो मौन ,तपस्वी,शांत,सिद्ध
ओ ज्ञानपीठ के मठाधीश ,
ओ दंत चिकित्सक तुम प्रसिद्ध
तुमने कितने कोमल कपोल ,
को खोल,हृदय की पीर हरी
हो समयसारिणी ,अनुशासित ,
तुम सदा समय के हो प्रहरी
गरिमा की माँ ,ममता की माँ ,
है छुपी हुई तुम माथुर में
साक्षर स्नेह की मूरत हो ,
सबके प्रति प्रेम भरा उर में
ये आलम अगर बुढ़ापे में ,
क्या होगा हाल जवानी में
निश्चित ही आग लगा देते,
होंगे बर्फीले पानी में
तुम जिसका मुख छूते होंगे,
निःशब्द हुआ करती होगी
ले जाती होगी प्रेम रोग ,
सब भुला दन्त की वह रोगी
ये खंडहर साफ़ बताते है ,
कितनी बुलंद थी इमारत
गायक,लायक ,नायक कर्मठ ,
तुम सबके मन की हो चाहत
है यही दुआ सच्चे दिल से ,
सौ वर्ष जियो तुम अविराम
माथुर साहब ,तुमको प्रणाम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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